doctor called anxiety lung cancer kept spreading for 9 months experts could not recognize these symptoms | डॉक्टर ने कहा- एंग्जायटी है, 9 महीने फैलता रहा लंग कैंसर, 37 साल के लड़के की दर्दनाक मौत

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doctor called anxiety lung cancer kept spreading for 9 months experts could not recognize these symptoms | डॉक्टर ने कहा- एंग्जायटी है, 9 महीने फैलता रहा लंग कैंसर, 37 साल के लड़के की दर्दनाक मौत



37 साल के लियाम हैंडली एक फिट और स्वस्थ व्यक्ति थे, जिनकी मौत लंग्स कैंसर को पहचानने में देरी से हो गयी. शुरुआत में उन्हें चिंता और तनाव के कारण सीने में दर्द, धड़कन की समस्याएं और तनाव महसूस हो रहा था, जिसके लिए उन्हें दवाइयां दी गयी.
लियाम की मां लिन ने सन मीडिया साइट को बताया कि हमें कभी नहीं लगा कि लियाम को फेफड़ों का कैंसर हो सकता है. वह युवा और स्वस्थ था और यही समस्या थी. डॉक्टरों ने उसके लक्षणों को गंभीरता से नहीं लिया, और उन्हें कभी भी सीने की एक्स-रे जांच नहीं करवायी गई. 
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देर से हुआ कैंसर का पता
लियाम की स्थिति समय के साथ और बिगड़ी. उनका दर्द बढ़ गया और एक दिन परिवार ने उनके दर्द को दिल का दौरा समझकर इमरजेंसी में भर्ती करा लिया. जांच में उनके फेफड़ों में खून के थक्के पाए गए, लेकिन कैंसर का संदेह नहीं था. बावजूद इसके, लियाम के लक्षणों में सुधार नहीं आया और वे अधिक दर्द महसूस करने लगे. उन्हें कंधे और पीठ में भी तेज दर्द होने लगा, जिसके लिए उन्हें हार्ड पेन किलर दवाइयां दी गईं.
प्राइवेट सीटी स्कैन से पता चला कैंसर
आखिरी में लियाम ने एक प्राइवेट सीटी स्कैन करवाया, जिसमें पता चला कि उन्हें फेफड़ों का कैंसर है, जो पहले से ही उनके लिवर, रीढ़ और लिम्फ नोड्स में फैल चुका था. यह सुनकर उनके परिवार का दिल टूट गया. यह पता लगाने में 9 महीने का समय लग गया.
जीन म्यूटेशन वाला कैंसर
अधिकारियों ने बताया कि लियाम को एडिनोकार्सिनोमा (EGFR Exon 19 Positive) नामक जीन म्यूटेशन से संबंधित फेफड़ों का कैंसर था, जो आमतौर पर उन लोगों में होता है, जिनका धूम्रपान से कोई संबंध नहीं होता. इस कैंसर के कारण लियाम बिस्तर पर ही लेटे रहने को मजबूर थे, और वह केवल 30 डिग्री तक ही बैठ सकते थे.
फेफड़ों के कैंसर के लक्षण
– लगातार खांसी- सांस में तकलीफ- सीने में दर्द या असुविधा- घरघराहट- खून के साथ खांसी- गले में खराश- भूख में कमी- अचानक वजन घटना- कंधे में दर्द- चेहरे, गर्दन, बाहों या ऊपरी छाती में सूजन- एक आंख में पुतली का आकार छोटा होना 
बच सकती थी जान
लियाम की मां कहती हैं कि डॉक्टर की लापरवाही की वजह से आज उन्होंने अपना बेटा खो दिया. यदि नौ महीनों में लियाम को सही इलाज मिल जाता है तो शायद वह आज जिंदा होते.
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