Diwali 2024: अयोध्या और बनारस के घाट इस गौशाला के गोबर से होगें जगमग, 10000 दिए किए गए हैं आर्डर

admin

Diwali 2024: अयोध्या और बनारस के घाट इस गौशाला के गोबर से होगें जगमग, 10000 दिए किए गए हैं आर्डर

सहारनपुर: यूपी के सहारनपुर की मां शाकंभरी कान्हा उपवन गौशाला उत्तर प्रदेश की नंबर वन आत्मनिर्भर गौशाला है. इस आत्मनिर्भर गौशाला की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी निरीक्षण कर तारीफ कर चुके हैं. इस गौशाला में गोबर से तैयार दीपक विभिन्न प्रकार की मूर्तियां बनाई जाती है. जिसको देखते हुए दीपावली के शुभ अवसर पर अयोध्या और वाराणसी से लगभग 10 हजार दीपक का ऑर्डर सहारनपुर नगर निगम की इस कान्हा उपवन गौशाला को मिला है.

पानी में नहीं डूबता यह दीपक

सहारनपुर की आत्मनिर्भर गौशाला में बने दीपक से वाराणसी और अयोध्या भी इस दीपावली पर जगमग होगा. इस गौशाला में बनने वाले दीपक की खास बात यह है कि वह मिट्टी से नहीं बल्कि गोबर, मुल्तानी मिट्टी और चुने से तैयार किया जाता है. दीपक पानी में डूबता नहीं, बल्कि पानी पर तैरता रहता  है. इस दीपक को जलाने के बाद इसका खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.

ऑनलाइन भी कर सकते हैं खरीदारी

सहारनपुर की इस आत्मनिर्भर गौशाला का दीपक पूरे देश में बेचा जा रहा है. जहां ऑनलाइन साइट अमेजॉन पर भी यह आसानी से उपलब्ध हो जाता है. प्रतिदिन 2 हजार से अधिक दीपक इस गौशाला में बनाए जा रहे हैं. पिछले वर्ष भी इस कान्हा उपवन गौशाला में बनने वाले गोबर के दीपक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास को जगमग कर चुके हैं. और अब अयोध्या और वाराणसी की बारी है.

अलग पहचान रखता है गोबर से तैयार यह दीपक

नगर निगम पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी डॉक्टर संदीप कुमार मिश्रा ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि दीपावली के दृष्टिगत मां शाकंभरी कान्हा उपवन गौशाला में दीपक बना रहे हैं, जो कि पूर्णतः गोबर से बने हुए हैं. गोबर से छोटे और बड़े दो प्रकार के दीपक तैयार किया जा रहे हैं. वहीं, अयोध्या और काशी में दीपावली पर होने वाले दीपोत्सव में सहारनपुर के गोबर से तैयार दीपक भी शामिल हो. इसको लेकर तैयारी जोरों सोरों पर चल रही हैं. लगभग 10000 दीपक भेजने का लक्ष्य रखा गया है.

ऐसे तैयार हो रहे हैं दीपक

नगर निगम पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी डॉक्टर संदीप कुमार मिश्रा ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि दीपक को तैयार करने के लिए गोबर, चुना, मैदा लकड़ी पाउडर और मुल्तानी मिट्टी को अच्छे से मिलकर उसका पाउडर बनाया जाता है. उसमें हल्का पानी डालकर उसको मशीन के द्वारा दीपक का आकार दिया जाता है.

वहीं, दो प्रकार के दीपक बनाए जा रहे हैं. दीपक का वजन काफी हल्का होता है, जिससे कि वह पानी पर भी आसानी से तैर सकता है. संदीप कुमार मिश्रा बताते हैं कि दीपक की काफी डिमांड आ रही है. नगर निगम में इसका पहला स्टॉल लगाया गया है. इस बार कर्नाटक और तेलंगाना से भी आर्डर मिले हैं.
Tags: Diwali, Local18, Saharanpur newsFIRST PUBLISHED : October 29, 2024, 13:56 IST

Source link