Diwali 2021 Lakshmi Puja Timing: दिवाली (Diwali) महापर्व पर धन की देवी मां लक्ष्मी (Goddess Lakshmi) के विधि-विधान से पूजन करने की परंपरा है. मान्यता है कि दिवाली की रात मां लक्ष्मी (Maa Lakshmi) की पूजा करने से साल भर घर में सुख-शांति बनी रहती है एवं जीवन में धन-धान्य की कमी नहीं रहती है. दिवाली पर मां लक्ष्मी के साथ ही प्रथम आराध्य भगवान गणेश की भी पूजा की जाती है. दिवाली पर मां लक्ष्मी का पूजन शुभ मुहूर्त में विधि-विधान से करना विशेष फलदायी माना गया है. इस दिन व्यापारी अपने प्रतिष्ठानों में वहीं आम लोग घरों में लक्ष्मी जी का पूजन करते हैं.
यह है पौराणिक कथाएंदिवाली हिंदुओं का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है. पांच दिन चलने वाले इस महापर्व की शुरुआत धनतेरस से होती है और तीसरे दिन दिवाली सेलिब्रेट की जाती है. इस महापर्व का समापन आखिरी दिन भाई दूज मनाकर की जाती है. दीपोत्सव आखिर क्यों मनाया जाता है इसे लेकर कुछ पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. एक कथा के अनुसार भगवान राम जब लंका में रावण का वध कर वापस अयोध्या लौटे तो उनके स्वागत में पूरी अयोध्या नगरी को दीपो से सजाया गया था. तभी से दिवाली मनाने की परंपरा शुरू हुई.वहीं, एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने दुष्ट असुर नरकासुर का वध कर उसके बंदीगृह से 16 हजार 100 कन्याओं को मुक्त कराया था. नरकासुर के वध की खुशी में दीपोत्सव की परंपरा शुरू हुई.
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लक्ष्मी पूजा का ये है सही समयदिवाली के दिन लक्ष्मी माता की पूजा करने के लिए विशेष मुहूर्त होता है. इस खास समय में पूजा करने से उसका संपूर्ण फल प्राप्त होता है. पंडितों के अनुसार दिवाली पर व्यापारिक संस्थानों द्वारा स्थिर लग्न मेंलक्ष्मी पूजन करना श्रेष्ठ माना जाता है. घरों में गोधुली बेला में धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा को श्रेष्ठ माना जाता है. गोधुली बेला में वृषभ लग्न के दौरान घरों में किया गया मां लक्ष्मी का पूजन सर्वश्रेष्ठ होताहै.
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दीपोत्सव विधि मूहूर्त
कार्तिक कृष्ण अमावस्या दिनांक 4:11: 2021 गुरुवार
प्रातः 06.16 – 08.54 शुभ वेलादिवा 11.00 – 12.42 चंचल वेलादिवा 11.58 – 12.42 अभिजीत वेलादिवा 12.21 – 01.30 लाभ वेलादिवा 04.28 – 05.50 शुभ वेला
गोधूलि वेला 05.50 – 08.26
वृश्चिक लग्न प्रातः 07.50 – 10.06कुंभ लग्न दिवा 01.54 – 03.24वृषभ लग्न सायं 06.30 – 08.25सिंह लग्न रात्रि 12.57 – 03.13
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