रिपोर्ट: अंजली शर्माकन्नौज. उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले में करोड़ों रुपए की लागत से बना दिव्यांगों का विद्यालय अनदेखी के चलते धूल फांक रहा है. ऐसे में इसका खामियाजा दिव्यांगों को भुगतना पड़ रहा है. जिले में दिव्यांगों का विद्यालय होने के बावजूद दिव्यांगो को अन्य जनपदों में पढ़ने जानें को मजबूर होना पड़ रहा है. कारण यह है कि विद्यालय होने के बावजूद विद्यालय अभी तक चालू नहीं हो पाया. विद्यालय साल 2019 में बन कर दिव्यांग कल्याण विभाग को सौंप दिया गया था. लेकिन 4 साल बीत जाने के बाद भी यह विद्यालय अभी भी इस आस में है कि जल्द से जल्द वह चालू होगा और दिव्यांग छात्र छात्राएं यहां पर आकर शिक्षा ग्रहण करेंगे.2014 में स्कुल के लिए 17 करोड़ रूपए आबंटित कर दिए गए थे. 2015 से विद्यालय भवन का निर्माण कार्य शुरू हुआ. 2019 में भवन को दिव्यांग कल्याण विभाग को शैक्षिक कार्य के लिए सौंप दिया गया. विभाग ने स्कूल में दिव्यांग छात्र-छात्राओं को पढ़ने रहने की व्यवस्था नहीं की लेकिन एक प्रिंसिपल की नियुक्ति जरूर कर दी गई.शिक्षक और छात्र छात्राओं के अभाव में आधुनिक स्कूल जो महज कागजो में चल रहा है.दिव्यांग बच्चों पर भारी पड़ रही अफसरों की अनदेखीदिव्यांग स्कूल के हॉस्टल और भवन की स्थिति दिव्यांग जैसी ही दिखी. स्कूल में शैक्षिक व्यवस्था के साथ-साथ सभी प्रकार कीमुलभुत जरूरत को पूरा करने के लिए आधुनिक व्यवस्था की गयी लेकिन ये व्यवस्था धूल खाती नजर आई. स्कूल के शैक्षिक भवन में गंदगी का अम्बार है. स्कूल में कुर्सी, मेज, सोने के लिए बेड धूल खाते नज़र आए. वहीं दीवारे मकड़ी के जालो से ढकी हुई थी. प्रिंसिपल के कक्ष में सफाई देखने को मिली. लोगों ने बताया कि एक साल पहले स्कूल में प्रिंसिपल की नियुक्ति हुई है. सरकार लगातार तनख्वाह दे रही, लेकिन स्कूल बनाने का उद्देश्य पूरा नहीं हुआ. स्कूल के प्रिंसिपल दिनेश दुबे से स्कूल की दुर्दशा के बारे में जानना चाहा तो वह पीठ दिखाकर भाग गए.क्या बोले अधिकारीदिव्यांग कल्याण अधिकारी तनुज त्रिपाठी ने बताया कि 2014 में भवन का निर्माण कार्य 17 करोड़ रूपए की लागत से शुरू हो गया था. 2019 में भवन विभाग को हैंडओवर कर दिया था. इस वित्तीय वर्ष में फर्नीचर आया है. अगले वित्तीय वर्ष में स्कूल को पूर्णतया चलाने की तैयारी चल रही है. उन्होंने बताया कि स्कूल में 450 छात्र छात्राओं के शिक्षण की व्यवस्था की गयी है. साथ ही 50-50 दिव्यांग छात्र-छात्राओं के रहने के लिए छात्रावास बनाये गए है. जिले के दिव्यांग बच्चो को शिक्षा के लिए दूर तक जाना पड़ता था. इस स्कूल के बन जानें से यह समस्या ख़त्म हो जाएगी. उन्होंने बताया कि स्कूल में प्रिंसिपल की नियुक्ति कर दी गयी है लेकिन शिक्षकों के अभाव में स्कूल संचालन में दिक्कत आ रही है.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|FIRST PUBLISHED : April 03, 2023, 19:38 IST
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