तलाक एक बेहद निजी फैसला माना जाता है, लेकिन इसका असर सिर्फ पति-पत्नी तक ही सीमित नहीं रहता. तलाक के फैसले तक पहुंचने तक का सफर लड़ाई, कड़वी बातों के लंबे एपिसोड से होकर गुजरता है, जिसका हिस्सा न चाहते हुए भी बच्चे बनते हैं.
ऐसे में हाल ही में हुए एक शोध में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. इसके अनुसार, जिन बच्चों के माता-पिता का तलाक हो जाता है, उनमें बड़े होकर स्ट्रोक होने का खतरा दूसरों के मुकाबले 60 प्रतिशत तक बढ़ जाता है.
हर 9 में से 1 बच्चे की जान को खतरा
टोरंटो यूनिवर्सिटी, टिंडेल यूनिवर्सिटी और टेक्सास यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि 65 वर्ष से अधिक आयु के नौ में से एक व्यक्ति जिनके माता-पिता का तलाक हुआ था, उन्हें स्ट्रोक का निदान किया गया था. जबकि, जिनके माता-पिता साथ रहे, उनमें से पंद्रह में से सिर्फ एक व्यक्ति को ही यह समस्या हुई.
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स्ट्रोक कब होता है
स्ट्रोक तब होता है जब ब्रेन में खून का सर्कुलेशन सही तरह से नहीं होता है. या जब कोई खून की नस फट जाती है. स्ट्रोक दुनियाभर में होने वाली मौत के मुख्य कारणों में शामिल है.
ऐसे हुई स्टडी
PLOS One में प्रकाशित इस अध्ययन में 1960 से पहले पैदा हुए 13,205 अमेरिकियों के डेटा का विश्लेषण किया गया. इसमें 65 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्ति शामिल थे, इनमें से 7.3% को स्ट्रोक हुआ था और 14% ने बचपन में माता-पिता का तलाक देखा था.
तलाक और स्ट्रोक का कनेक्शन
शोधकर्ताओं का मानना है कि बचपन में पुराने तनाव जो अक्सर माता-पिता के अलगाव के कारण होता है, स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है. दरअसल, तनाव के लंबे समय तक संपर्क में रहने से शरीर की तनाव प्रतिक्रिया को कंट्रोल करने वाला सिस्टम हाइपोथैलेमिक-पिट्यूटरी-एड्रेनल (HPA) अक्ष बाधित होता है, जो ब्रेन को गंभीर स्थिति में डाल सकता है.
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तनाव हार्मोन का स्तर बढ़ता है
शोधकर्ताओं का कहना है कि बचपन में माता-पिता के अलग होने से तनाव हार्मोन का लेवल बढ़ सकता है, जिससे बच्चों के विकासशील मस्तिष्क और तनाव का जवाब देने की क्षमता पर स्थायी प्रभाव पड़ सकता है.