फर्रुखाबाद: दीपावली पर माता लक्ष्मी और गौरी पुत्र गणेश के पूजन को खील खिलौना बतासे का भोग लगाने की परंपरा है. इसके चलते हर घर में इसकी मांग होती है. एक जमाना था जब खील के साथ मीठे खिलौने बड़े शौक से खाए जाते थे. अब समय बदलने के साथ ही स्वास्थ्य से जुड़ी तमाम दिक्कतों के चलते इनका चलन कुछ कम हुआ है लेकिन पूजा में अभी भी उपयोग हो रहा है. ऐसे में फर्रुखाबाद शहर के कारखानों में इन दिनों मीठे खिलौने और बतासे तेजी से बनाए जा रहे हैं. खील भी बाजार में आ गई है.
दीपावली के दिन भगवान गणेश और लक्ष्मी की पूजा की जाती है. पूजा में गणेश और लक्ष्मी जी को शक्कर के बने खिलौने का भोग लगाया जाता है. दिवाली के मौके पर बनने वाली तरह-तरह की मिठाईयों से अलग मिठास से भरे खिलौने एक दौर में सस्ती और टिकाऊ मिठाई होती थी. फर्रुखाबाद में कारोबारी दिन-रात चीनी या शक्कर के खिलौने बनाने में लगे हुए हुए हैं.
फर्रुखाबाद के कमालगंज में 10 से अधिक परिवार घरों में पांच पीढ़ियों से अधिक समय से ये पुस्तैनी कारोबार कर रहे हैं. बीते कुछ सालों में जिस तरह से महंगाई बढ़ी है उससे चीनी और गैस आदि का दाम बढ़ने से इनके धंधे पर भी गहरा असर पड़ा है. कारीगर बताते हैं कि आज के समय में लोग खिलौने को कम ही खरीदते हैं. दूसरी तरफ इसमें लागत भी अधिक आती है. यही कारण है कि अब कमालगंज में कुछ चुनिंदा लोग ही इन खिलौने को बना रहे हैं. ऐसे में उनके पास काफी ज्यादा ऑर्ड़र आए हैं.
कारीगर सुनील लोकल 18 से बताते हैं की इस समय दीपावली के लिए वह खिलौने बना रहे हैं. पांच कारीगर कार्य कर रहे हैं. इससे एक दिन में 3 कुंतल खिलौने तैयार हो जाते हैं जो बाजार में 70 रुपए किलो की दर से बिकते हैं. एक अन्य शख्स अजय गुप्ता ने बताया की यहां प्रतिदिन 3 से 5 हजार रुपए की बचत हो रही है. जिस प्रकार की बिक्री हो रही है उस हिसाब से महीने में 50 से 60 हजार रुपए का मुनाफा आसानी से हो जाता है.
लकड़ी के फर्मा से बनते हैं खिलौनेखिलौने बनाने के लकड़ी के जिन फर्मा में गर्म शक्कर से बनी हुई चाशनी भरी जाती है उनमें हाथी, शेर, घोड़े, मछली, बत्तख और कमल की आकृतियां बनी होती हैं. उसी आकार में मीठे खिलौने तैयार हो जाते हैं. दीपावली पर ये बहुत खास होते हैं. जानवर और फूल की डिजाइन वाले ये मीठे बच्चों भी काफी पसंद आते हैं.
कारीगर बताते हैं की खिलौने वाली मिठाई बनाने के लिए आपके पास भट्ठी होने चाहिए. इसके जरिए कढ़ाई में शक्कर की चाशनी तैयार करनी होती है. इसे तब तक लगातार गर्म किया जाता है जब तक की ये चाशनी जमने के रूप में न आ जाए. खिलौने बनाने के लिए लकड़ी के बने हुए फर्मा में ये चाशनी भर दी जाती है. कुछ देर बाद ठंडा होने पर इन फर्मा को खोलकर खिलौने निकाल लिए जाते हैं.
Tags: Farrukhabad news, Local18FIRST PUBLISHED : October 30, 2024, 21:27 IST