चित्रकूट: धर्म नगरी चित्रकूट भगवान राम की तपोस्थली रही है. राम ने अपने वनवास काल के साढ़े ग्यारह वर्ष चित्रकूट में बिताए थे. यहां दीपावली पर्व का काफी विशेष महत्व भी माना गया है. ऐसे में दीपावली का मेला नजदीक आते ही श्रधालुओं का जत्था धर्म नगरी चित्रकूट पहुंचना शुरू हो गया है. शरद पूर्णिमा के अवसर पर हजारों की तादाद में श्रद्धालु पहुंचे है जहां श्रद्धालुओं के रुकने के लिए रैन बसेरा में कोई इंतजाम न होने के चलते सैकड़ों की तादाद में श्रद्धालु सड़क किनारे खुले आसमान के नीचे रुकने और सोने के लिए मजबूर हैं. इससे उनकी जान का जोखिम हमेशा बना रहता है.दीपावली में पहुंचते हैं लाखों श्रद्धालु आपको बता दें कि दीपावली का मेला नजदीक आते ही हजारों की तादाद में श्रद्धालु चित्रकूट पहुंचना शुरू कर देते हैं और मंदाकिनी नदी में स्नान के बाद कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा लगाते है. ऐसे में शरद पूर्णिमा होने के चलते हजारों श्रद्धालु चित्रकूट पहुंचे थे. जहां नगर पालिक द्वारा बनाए गए रैन बसेरा में गंदगी का अंबार होने और रैन बसेरा में श्रद्धालुओं से अवैध तरीके से अधिक किराया वसूलने जाने के चक्कर श्रद्धालु इधर-उधर भटकने को मजबूर होते हैं. ऐसे में श्रद्धालु बेड़ी पुलिया से लेकर यूपीटी चौराहे तक सड़क के किनारे फुटपाथ और डिवाइडर में लेटने के लिए मजबूर हैं.श्रद्धालुओं के साथ हो सकता है बड़ा हादसारोड के किनारे पड़े श्रद्धालुओं के साथ ऐसे में कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. कई जगह खुली बिजली की तारों से खतरा है तो दूसरी तरफ सड़क पर चलते तेज वाहनों से दुर्घटना का खतरा है. सब कुछ देखते और जानते हुए भी जिला प्रशासन आंख मूंदे हुए है. इसे श्रद्धालुओं की जान के साथ खिलवाड़ ही कहा जाएगा. सड़क किनारे लेटे श्रद्धालुओं के सामने तब और बड़ी मुश्किल आ जाती है जब मौसम में बदलाव होता है. बारिश होने लगी तब उनके पास और भी कोई ठिकाना नहीं बचता. जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन इन श्रद्धालुओं को सड़क किनारे फुटपाथ से हटाने के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा है.श्रद्धालुओं ने दी जानकारी बाहर से चित्रकूट आए श्रद्धालु का कहना है कि प्रशासन की तरफ से उनके रुकने-ठहरने के लिए कोई सरकारी इंतजाम नही किए गए हैं. उन्होंने बताया कि जो सरकारी रैन बसेरा है वहां गंदगी का अंबार लगा हुआ है और उनसे अवैध वसूली की जाती है. होटल में उन्हे ज्यादा पैसे लग जायेंगे इसलिए मजबूर होकर वह सड़क किनारे लेटने के लिए मजबूर हो गए हैं.FIRST PUBLISHED : October 20, 2024, 20:46 IST