बलिया: दिल लगे दीवार से तो परी किस काम की…उत्तर प्रदेश के बलिया निवासी पुजारी राघव दास ने पत्थर की मूर्तियों और सैकड़ों बेजुबानों के लिए अपने आप को समर्पित कर इस कहावत को चरितार्थ किया है. एक इंसान को बेजुबान के प्रति इतना प्यार न केवल लोगों के दिलों को सुकून देता है बल्कि एक अच्छी सीख की तरफ़ जागरूक भी करता है. इन बेजुबान बंदरों से इस शख्स का इतना लगाव हो गया है कि उनके भरण पोषण के लिए स्थानीय लोगों से सहायता मांगने के लिए निकल पड़ते हैं. वह लोगों से बंदरों के कुछ खिलाने का इंतजाम करने के लिए कहते हैं.राघव दास ने बताया कि यह मशहूर मझोसनाथ (शिव मंदिर) धार्मिक स्थल है जहां सैकड़ों बेजुबान बंदर हर समय निवास करते हैं. यहां का अद्भुत नजारा बेहद मनोहारी और हर किसी को सुकून देने वाला होता है. बहुत दूर-दूर से यहां दर्शक आते हैं और इन बंदरों के साथ अपना कुछ पल बिताते हैं. यह अनोखा स्थान बलिया जिले के बांसडीह थाना क्षेत्र अंतर्गत विद्या भवन नारायणपुर में स्थित है.एक दिन में 50 किलो अनाज का करना होता है इंतजामबड़ी अद्भुत घड़ी होती है वो जब एक इंसान और बेजुबान के प्रेम की झलक दिखाई देती है. सैकड़ों बंदरों के भोजन का प्रबंध करने की चिंता लिए हुए पुजारी राघव दास प्रतिदिन इन बंदरों को लगभग 50 किलो अनाज खिला देते हैं. पुजारी की मानें तो इस काम में उनको बहुत सुकून मिलता है. ये बेजुबान हैं कुछ बोल नहीं सकते तो इंसान का ये कर्त्तव्य है कि इनकी सेवा/मदद करें.पुजारी का कहना है कि यही हमारे सब कुछ हैं. जो इस मन्दिर पर दान मिलता वो इन बंदरों को खिला देता हूं और कम पड़ने पर इन बंदरो के लिए तो मैं अनाज भी स्थानीय लोगों से निःसंकोच मांग लेता हूं. पुजारी राघव दास इन बंदरों के लिए भिक्षा मांगते है और कहीं न कहीं से इन बेजुबान बंदरो के खाने पीने की व्यवस्था हो ही जाती है.FIRST PUBLISHED : August 19, 2024, 20:39 IST