दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ RRTS कॉरिडोर में होंगे 25 स्टेशन, यूनिक तरीके से हो रहा अंडरग्राउंड निर्माण

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दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ RRTS कॉरिडोर में होंगे 25 स्टेशन, यूनिक तरीके से हो रहा अंडरग्राउंड निर्माण



मेरठ. मेरठ (Meerut) में बनाया जा रहा अंडरग्राउंड मेरठ सेंट्रल स्टेशन (Underground Meerut Central Station) लोगों की सहूलियत के लिए यूनिक तरीके से बनाया जा रहा है. यह स्टेशन दिल्ली मेरठ रोड पर फुटबाल चौक के पास बनाया जा रहा है. मेरठ सेंट्रल एक अंडरग्राउंड स्टेशन है. घनी आबादी वाला क्षेत्र होने के कारण यहां जमीन के नीचे एक साथ स्टेशन का निर्माण करना मुश्किल है. इसी परेशानी से बचने और लोगों की सुविधा को देखते हुए एनसीआरटीसी इस स्टेशन के निर्माण कार्य को यूनिक तरीके से दो फेज में कर रहा है.
अंडरग्राउंड मेरठ सेंट्रल स्टेशन के पहले फेज के निर्माण के लिए दिल्ली-मेरठ रोड का आधा हिस्सा यातायात के लिए बंद कर लगभग आधे स्टेशन का भूमिगत निर्माण कार्य अभी किया जा रहा है. इस भूमिगत निर्माण कार्य में स्टेशन के डायफ्राम वाल (डी-वॉल) का निर्माण कार्य तथा उसकी ऊपरी छत का निर्माण कार्य शामिल है. इस हिस्से की ऊपरी छत का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद दिल्ली की ओर से आ रहे ट्रैफिक को इस स्टेशन के नए बने हुए हिस्से पर ट्रान्सफर कर दिया जाएगा.
बताया गया है कि इसके बाद स्टेशन के दूसरे हिस्से का निर्माण कार्य सड़क के दूसरे हिस्से पर किया जाएगा ताकि लोगों को परेशानी न हो. सड़क का दूसरा हिस्सा अभी ट्रैफिक के लिए खुला हुआ है. दूसरे फेस में स्टेशन के बाकी हिस्से के अंडरग्राउंड भाग के लिए डायफ्राम वाल (डी-वॉल) का निर्माण कार्य प्रारम्भ होगा.
टॉप डाउन तकनीक से हो रहा निर्माणएनसीआरटीसी भूमिगत स्टेशन के निर्माण कार्य के लिए टॉप डाउन तकनीक की प्रणाली अपना रहा है. इस तकनीक के तहत पहले ऊपरी छत बनाकर नीचे की अतिरिक्त मिट्टी निकाली जाएगी और फिर कॉनकोर्स लेवेल का तल बनाया जाएगा. कॉनकोर्स लेवल वह लेवल होता है, जहां यात्रियों के लिए सुरक्षा जांच किओस्क और टिकट काउंटर के अलावा प्लेटफार्म लेवल पर जाने के लिए एएफ़सी (ऑटोमैटिक फेयर कलेक्शन) गेट आदि होते हैं. यात्रियों को ट्रेन सेवा प्लेटफॉर्म लेवल पर प्राप्त होगी.
पहले चरण का निर्माण लगभग पूराइस स्टेशन के निर्माण के पहले फेस का निर्माण कार्य अब समाप्त होने वाला है. शीघ्र ही निर्माण कार्य का दूसरा फेस प्रारम्भ हो जाएगा. बाद में स्टेशन के दोनों बने हुए हिस्सों को आपस में जोड़ कर मेरठ सेंट्रल स्टेशन का निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाएगा. मेरठ सेंट्रल स्टेशन करीब 280 मीटर लंबा और लगभग 30 मीटर चौड़ा है. यह एक मेट्रो स्टेशन होगा, जहां यात्रियों को तीन कोच की मेट्रो ट्रेन सेवा प्राप्त होगी. यात्रियों की सुविधा और भीड़ पर नियंत्रण के लिए यहां प्रवेश और निकास के लिए सड़क के दोनों ओर दो प्रवेश और निकास द्वार बनाए जा रहे हैं.
दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर में 25 स्टेशन
दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर में कुल 25 स्टेशन हैं, जिसमें से 13 स्टेशन मेरठ में स्थित हैं. जिनके द्वारा मेरठ में लोकल मेट्रो की ट्रांज़िट सेवा स्थानीय निवासियों को मिल सकेगी. मेरठ साउथ स्टेशन से लोकल मेट्रो की सेवा प्रारम्भ होगी और परतापुर, रिठानी, शताब्दी नगर, ब्रह्मपुरी के एलिवेटेड भाग से आगे भैंसाली, मेरठ सेंट्रल और बेगमपुल में भूमिगत हो जाएगी. आगे यह पुनः एलिवेटेड होकर एमईएस कॉलोनी, दौरली, मेरठ नॉर्थ व मोदीपुरम होते हुए मोदीपुरम डिपो तक जाएगी, जहां मोदीपुरम डिपो में ट्रेनों के रखरखाव का प्रबंध किया जाना है.

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