Last Updated:March 28, 2025, 16:53 ISTDigital Education: महराजगंज के बैजनाथपुर के अध्यापक कृष्ण कुमार मद्धेशिया बच्चों को टेक्नोलॉजी से शिक्षित कर रहे हैं. 2021 से उन्हें राज्य स्तरीय आईसीटी पुरस्कार मिल रहा है.X
digital educationहाइलाइट्सकृष्ण कुमार मद्धेशिया बच्चों को टेक्नोलॉजी से शिक्षित कर रहे हैं.2021 से उन्हें राज्य स्तरीय आईसीटी पुरस्कार मिल रहा है.अपने लैपटॉप और आईपॉड से बच्चों को सिखाते हैं.Digital Education : आज का समय डिजिटल क्रांति का समय है और लगभग हर क्षेत्र में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हो रहा है. ऐसे में भविष्य को ध्यान में रखते हुए बच्चों को भी टेक्नोलॉजी से परिचित कराना बहुत जरूरी हो गया है. हालांकि बच्चों को टेक्नोलॉजी फ्रेंडली बनाना इतना आसान नहीं है. बच्चों को किसी भी विषय को समझाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है. उन्हें हर विषय को उनकी ही भाषा में और व्यावहारिक तरीके से बताने और समझाने की जरूरत होती है, तभी उन्हें सही जानकारी मिल सकती है. महराजगंज जिले के बैजनाथपुर के अध्यापक कृष्ण कुमार मद्धेशिया अपने अलग पढ़ाने की शैली के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने बच्चों को टेक्नोलॉजी के माध्यम से शिक्षित करने का जिम्मा उठाया है. उनकी सकारात्मक पहल का बच्चों पर बहुत अच्छा परिणाम भी दिख रहा है.
अपने लैपटॉप और आईपॉड से बच्चों को सिखाते हैंकृष्ण कुमार मद्धेशिया ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि वह एक सामान्य परिवार से हैं और उनका हमेशा यह प्रयास रहता है कि स्कूल के बच्चों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार किया जाए. आज के डिजिटल युग में बच्चों को टेक्नोलॉजी की जानकारी देना बहुत जरूरी है, जो वह बखूबी कर रहे हैं. वह अपने संसाधनों जैसे लैपटॉप, स्मार्टफोन और आईपॉड के जरिये बच्चों को टेक्नोलॉजी से परिचित कराते हैं और उनसे इन गैजेट्स पर काम भी कराते हैं. उन्होंने बताया कि शुरू में बच्चे गैजेट्स से डरते थे, लेकिन धीरे-धीरे अब वे इनके साथ काफी सहज हो गए हैं और इन पर काम भी करने लगे हैं.
साल 2021 से मिल रहा है राज्य स्तरीय पुरस्कारकृष्ण कुमार मद्धेशिया बताते हैं कि बच्चों को टेक्नोलॉजी के माध्यम से पढ़ाना और उन्हें टेक्नोलॉजी से दोस्ताना बनाना थोड़ा चुनौतीपूर्ण है लेकिन असंभव नहीं है. ध्यान देने की बात है कि उन्हें 2021 से लगातार राज्य स्तर पर आईसीटी (Information and Communication Technology) पुरस्कार मिल रहा है. यह पुरस्कार उनकी सफलता और बच्चों के प्रति उनकी मेहनत और संघर्ष को दर्शाता है. उन्होंने बताया कि वह दिव्यांग हैं और उनके पिता चाहते थे कि वह कोई नौकरी प्राप्त करें. वर्तमान समय में उन्होंने न सिर्फ नौकरी हासिल की बल्कि हजारों बच्चों को टेक्नोलॉजी से जोड़कर भविष्य के लिए तैयार कर रहे हैं, जो बेहद सराहनीय है.
Location :Mahrajganj,Uttar PradeshFirst Published :March 28, 2025, 16:53 ISThomecareerDigital Education: इस अध्यापक का बच्चों को पढ़ाने का तरीका है सबसे अलग