Difference Between Winter Blues And Respiratory Illness: जैसे-जैसे सर्दी का मौसम करीब आता है, हममें से कई लोग एनर्जी, थकान और मूड में डॉप फील करते हैं, जिसे आमतौर पर ‘विंटर ब्लूज़’ कहा जाता है. हालांकि चेंज ऑफ वेदर के साथ आने वाली सुस्ती और सर्द मौसम के दौरान होने वाली सांस से जुड़ी गंभीर बीमारियों के बीच फर्क करना बेहद अहम है. इन मेडिकल कंडीशंस के बीच के फर्क को समझना जरूरी हैं, क्योंकि फिर आप बेहतर महसूस करने और जरूरी इलाज के लिए सही कदम उठा सकेंगे.
‘विंटर्स ब्लूज़’ किसे कहते हैं?
डॉ. विकास मित्तल (Dr. Vikas Mittal), पल्मोनोलॉजिस्ट, सीके बिड़ला हॉस्पिटल, दिल्ली, ने बताया कि हालांकि ‘विंटर ब्लूज़’ के लिए कोई फॉर्मल मेडिकल टर्म नहीं है, लेकिन इसका इस्तेमाल अक्सर उदासी, लो एनर्जी, टेम्पोरेरी फीलिंग के लिए किया जाता है जो लोग कभी-कभी ठंड के महीनों में अनुभव करते हैं. ये भावनाएं दिन के कम घंटों, सूरज की रोशनी की कमी या ठंडे तापमान के कारण हो सकती हैं, जिनकी वजह से हम घरों के अंदर ज्यादा रखते हैं. ‘विंटर्स ब्लूज़’ आमतौर पर कुछ दिनों या हफ़्तों के बाद कम हो जाता है क्योंकि शरीर मौसम के हिसाब से खुद को ढाल लेता है. उन्हें लाइफस्टाइल में चेंज करके रोका जा सकता है, जैसे कि नेचुरल लाइट के संपर्क में आना, फिजिकल एक्टिविटीज में शामिल होना या मेडिटेश जैसी रिलैक्सिंग तकनीकों का अभ्यास करना.
कॉमन कोल्ड एंड फ्लू
सर्दी के महीनों में लोगों को होने वाली दो सबसे आम बीमारियां कॉमन कोल्ड (सर्दी) और फ्लू हैं. दोनों ही वायरल इंफेक्शंस हैं जो अपर रिस्पिरेटरी सिस्टम को प्रभावित करते हैं और ठंड के मौसम में ज़्यादा देखने को मिलते हैं क्योंकि लोग ज़्यादा समय घर के अंदर एक-दूसरे के नज़दीक रहकर बिताते हैं. कॉमन कोल्ड या फ्लू के लक्षणों में आम तौर पर भरी हुई या बहती हुई नाक, गले में खराश, छींक आना, हल्की खांसी और कंजेशन शामिल हैं. इन लक्षणों का इलाज अक्सर ओवर-द-काउंटर दवाओं, गर्म चाय या शहद जैसे घरेलू उपचार और प्रोपर रेस्ट से किया जा सकता है. ज़्यादातर लोग बिना किसी मेडिकल हेल्प के एक या दो हफ़्ते में ठीक हो जाते हैं.
सांस से जुड़ी बीमारियां
विंटर ब्लूज़ और कॉमन कोल्ड सर्दियों की आम परेशानी है, लेकिन इसके उलट ब्रोंकाइटिस, निमोनिया या दूसरे लोअर रिस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शंस ज्यादा सीरियस हो सकते हैं. सांस से जुड़ी बीमारियां अक्सर कॉमन कोल्ड या फ्लू से ज़्यादा समय तक रहती हैं और इनका सही इलाज सुनिश्चित करने के लिए मेडिकल हेल्थ की जरूरत पड़ती है. सांस से जुड़ी बीमारी के लक्षणों में लगातार खांसी, पीले या हरे रंग का थूक (बलगम) और सबसे ज़्यादा चिंताजनक, सांस लेने में तकलीफ़ या सांस लेने में मुश्किलें शामिल है. ये बताता है कि संक्रमण फेफड़ों को प्रभावित कर रहा है और इसके लिए तुरंत इलाज की जरूरत है.
इलाज और बचाव
इससे बचने के लिए जरूरी है कि आप खुद से दवा न लें, खास तौर से जब एंटीबायोटिक्स की बात आती है, क्योंकि ज़्यादा इस्तेमाल से एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस और कॉम्पलिकेशंस हो सकते हैं. अगर आपको सांस लेने में दिक्कतें, गंभीर खांसी या समय के साथ बिगड़ने वाले लक्षण महसूस होते हैं, तो डॉक्टर से सलाह लेना ज़रूरी है.
सर्दियों के मौसम में सांस से जुड़ी बीमारियों को रोकने के लिए, रेग्युलर हेल्थ चेकअप पर विचार करें, खासकर अगर आप रिस्पिरेटरी डिजीज को लेकर सेंसिटिव हैं या आपको पहले से ही फेफड़ों की बीमारी है. स्ट्रेस फ्री लाइफस्टाइल में रखना, एक्टिव रहना और दवाओं के लिए अपने डॉक्टर की सिफारिशों का पालन करना आपकी इम्यूनिटी को मजबूत रखने में मदद कर सकता है. इसके अलावा, फ्लू और निमोनिया के लिए वैक्सिनेशन को रेकोमेंड किया जाता है, खासकर बुजुर्गों, छोटे बच्चों और क्रोनिक हेल्थ कंडीशन वाले लोगों के लिए.