अक्सर हम ये मान लेते हैं कि डायबिटीज और किडनी की बीमारी सिर्फ इन अंगों को ही प्रभावित करती हैं, लेकिन ये बीमारियां धीरे-धीरे हमारे पूरे शरीर को प्रभावित कर सकती हैं, खासकर हमारे दिल को. आइए जानते हैं कि आखिर कैसे ये तीनों बीमारियां एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं और कैसे डायबिटीज और किडनी की बीमारी वाले लोगों में दिल की बीमारी का खतरा ज्यादा होता है.
हाल में हुए एक शोध में यह बात सामने आई है कि क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) और टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में दिल की बीमारी (सीवीडी) का खतरा अन्य लोगों की तुलना में 8 से 28 वर्ष पहले होने का अनुमान है. शिकागो में नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने कार्डियोवैस्कुलर-किडनी-मेटाबोलिक (सीकेएम) सिंड्रोम के कार्डियोवैस्कुलर रोग (सीवीडी) खतरों के पूर्वानुमान पर प्रभाव का अनुमान लगाने के लिए एक सिमुलेशन शोध किया. उन्होंने पाया कि अकेले क्रोनिक किडनी डिजीज वाले मरीजों में दिल की बीमारी न होने वालों मरीजों की तुलना में आठ साल पहले दिक की बीमारी का ज्यादा खतरा होगा. वहीं, टाइप 2 डायबिटीज वाले मरीजों में, यह खतरा बिना बीमारी वाले लोगों की तुलना में लगभग एक दशक पहले हो सकता है.
एक्सपर्ट का क्या कहना?क्रोनिक किडनी डिजीज और डायबिटीज वाले दोनों मरीजों में से महिलाओं में सीवीडी के लिए 26 साल पहले और पुरुषों में 28 साल पहले खतरे बढ़ने का अनुमान लगाया गया. नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता और प्रमुख अध्ययन लेखक वैष्णवी कृष्णन ने कहा कि हमारे निष्कर्ष रिस्क फैक्टर के कॉम्बिनेशन की व्याख्या करने में मदद करते हैं और बताते हैं कि दिल की बीमारी के खतरे किस उम्र में ज्यादा होगा.
महिलाएं या पुरुष में किसे ज्यादा खतरा?अध्ययन में पाया गया कि कार्डियोवैस्कुलर-किडनी-मेटाबोलिक (सीकेएम) सिंड्रोम के बिना, महिलाओं के लिए अधिक दिल की बीमारी के खतरे तक पहुंचने की अपेक्षित आयु 68 वर्ष और पुरुषों के लिए 63 वर्ष थी. शिकागो में 16-18 नवंबर को आयोजित होने वाले अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के वैज्ञानिक सत्र 2024 में निष्कर्ष प्रस्तुत किए जाएंगे.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.