दहशत में स्‍टूडेंट्स: खण्डहर में तब्दील हो रही हैं मथुरा के नामी कॉलेज की बिल्डिंग, जानें वजह

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दहशत में स्‍टूडेंट्स: खण्डहर में तब्दील हो रही हैं मथुरा के नामी कॉलेज की बिल्डिंग, जानें वजह



हाइलाइट्सजिले का नामी कॉलेज खण्डहर बनने की कगार परबड़े हादसे को आमंत्रित कर रही बिल्डिंगप्रशासन की तरफ से नहीं हो रही कोई कार्रवाईरिपोर्ट: चंदन सैनी
मथुरा: उत्तर प्रदेश में सरकार शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कई तरह की योजनाओं का क्रियान्वयन कर रही है. खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षा विभाग को दुरुस्त करने की कमान अपने हाथों में ले रखी है. लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के कारण प्रदेश के कई स्थानों में स्थिति जस की तस बनी हुई है. ताजा मामला मथुरा का है जहां जिले का नामी कॉलेज प्रशासन की लापरवाही और भ्रष्टाचार के कारण खण्डहर में तब्दील होने के कगार पर खड़ा है. जिले की, केआर डिग्री पीजी कॉलेज की बिल्डिंग लगभग खंडहर में तब्दील हो चुकी है. स्थिति यह है कि यह बिल्डिंग कभी भी बड़े हादसे को न्यौता दे सकती है. कॉलेज प्रशासन और जिला प्रशासन से जुड़े अधिकारी इसकी सुध लेना भी उचित नहीं समझ रहे. हालांकि कॉलेज प्रशासन के द्वारा बिल्डिंग पर चेतावनी तो लिखवा दी गई है, लेकिन यहां आने वाले छात्र-छात्राएं दहशत में रहते हैं.
छात्रों की पढ़ाई हो रही बाधितगौरतलब है कि कई दशक से ऊपर का समय बीत जाने के बाद भी इस बिल्डिंग का कायाकल्प नहीं हो पाया है. बिल्डिंग को देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिल्डिंग काफी पुरानी है. जिले का नामी कॉलेज होने के बावजूद भी यहां व्यवस्थाओं के लाले पड़े हुए हैं. इसकी एक बिल्डिंग खंडहर बन चुकी है तो दूसरी बिल्डिंग में कॉलेज की कक्षाएं चलाना मुश्किल हो रहा है. कमरे कम और छात्र -छात्राओं की संख्या अधिक होने के कारण प्रोफ़ेसर भी छात्र-छात्राओं को पढ़ा नहीं पा रहे हैं. जिसकी वजह से छात्रों की पढ़ाई भी बाधित हो रही है.
1947 में हुआ था बिल्डिंग का निर्माणकॉलेज के प्रोफेसर डॉक्टर संजीव श्रीवास्तव ने जानकारी देते हुए बताया कि 1947 में बिल्डिंग का निर्माण हुआ था. कई प्राचार्य बदलने के बाद भी इस बिल्डिंग का कायाकल्प नहीं हो पाया. बिल्डिंग पूरी जर्जर हो चुकी है, जो कभी भी धराशाई हो सकती है. उन्होंने बताया कि 11 विभाग कला संकाय के हैं और साइंस विभाग भी इसमें ही संचालित था. इसके अलावा कॉमर्स डिपार्टमेंट भी इस बिल्डिंग में चलता था. यह जिले का एकमात्र सरकारी पीजी कॉलेज है. संजीव श्रीवास्तव ने बताया कि कभी टॉप 10 में के आर कॉलेजों की गिनती हुआ करती थी, लेकिन अब बिल्डिंग को सील करा दिया गया है, इसके अलावा बिल्डिंग का जो हिस्सा सील नहीं है वह कभी भी धराशाई हो सकता है.

कॉलेज के मैनेजर खुद हैं जिलाधिकारीआपको बता दें कि के आर डिग्री कॉलेज के मैनेजर खुद जिलाधिकारी हैं, इसके बावजूद भी वो कॉलेज की स्थिति सुधारने का नाम नहीं ले रही हैं. बिल्डिंग की स्थिति सुधारने के लिए दर्जनों पत्र लिखे गए, लेकिन आज तक कोई भी कार्रवाई नहीं हो पाई.
पूर्व के प्राचार्यों ने किया घोटालाके आर डिग्री कॉलेज में कई लोग कार्यवाहक प्राचार्या के तौर पर आते-जाते रहे और कॉलेज की बिल्डिंग भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती रही. बताया गया कि पूर्व में जिन प्राचार्यों ने कॉलेज का कार्यकाल देखा उन सबने जमकर यहां से मलाई बटोरी. कॉलेज को करीब 20 साल बाद आयोग द्वारा चयनित प्राचार्य मिला है जिसके बाद इसकी स्थिति में सुधार होने की उम्मीद लगाई जा रही है.
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