धान की पराली अब समस्या नहीं, किसानों के लिए है कमाई जरिया, जानें कैसे..?

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धान की पराली अब समस्या नहीं, किसानों के लिए है कमाई जरिया, जानें कैसे..?

शाहजहांपुर: धान के फसल के अवशेष को पराली कहते है. पराली किसानों के लिए एक बड़ी समस्या के तौर पर देखा जा रहा है, लेकिन आधुनिक कृषि यंत्र बेलर के आ जाने से किसानों को बड़ी राहत मिली है. पराली इकट्ठा करने वाला बेलर एक ऐसा कृषि यंत्र है. जिसका उपयोग फसल कटाई के बाद बचे हुए अवशेषों (पराली) को इकट्ठा करके उसे छोटे-छोटे गट्ठरों में बांधने के लिए किया जाता है. यह यंत्र पराली जलाने की समस्या का एक प्रभावी समाधान है, जो पर्यावरण प्रदूषण को कम करने में मदद करता है.

कृषि यंत्र एक्सपर्ट सरदार अवतार सिंह ने बताया कि बेलर पहले पराली को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटता है. फिर, यह कटी हुई पराली को एक चैम्बर में एकत्र करता है. एक निश्चित मात्रा में पराली एकत्र करने के बाद, बेलर उसे एक मजबूत रस्सी या तार से बांधकर एक गठ्ठा बना देता है. अंत में, यह गठ्ठा चैम्बर से बाहर निकाल दिया जाता है. बेलर चलाने से पहले रैकर का इस्तेमाल किया जाता है.

1 एकड़ खेत में 20 क्विंटल परालीअवतार सिंह ने बताया कि बेलर पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को कम करता है. पराली को गठ्ठरों में बांधकर खेत में ही छोड़ा जा सकता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है. पराली के गठ्ठरों का उपयोग पशुओं के चारे के रूप में किया जा सकता है. पराली के गठ्ठरों का उपयोग बायोगैस उत्पादन के लिए भी किया जा सकता है. जिससे किसानों को आमदनी भी मिलती है. 1 एकड़ खेत में करीब 20 क्विंटल पराली निकलती है.

1 दिन में करेगा इतना कामसरदार अवतार सिंह ने बताया कि एक बेलर रोजाना 20 से 30 एकड़ खेत से पराली को उठा सकता है. किसान इस पराली को पेपर मिल में बेचकर आमदनी भी कमा सकते हैं. बेलर को चलाने के लिए 50 हॉर्स पावर या उससे अधिक क्षमता वाले ट्रैक्टर की आवश्यकता होती है.

बेलर से पहले चलाना होता है रैकरसरदार अवतार सिंह ने बताया कि बेलर चलाने से पहले ही किसानों को रैकर की आवश्यकता होती है. रैकर धान की फसल कटाई के बाद खेतों में फैली हुई पराली को लाइनों में इकट्ठा करता है. जिससे बेलर का काम बेहद आसान हो जाता है. रैकर को चलाने के लिए 25 से 30 हॉर्स पावर ट्रैक्टर की आवश्यकता होती है.

इतनी है कीमतअवतार सिंह ने बताया कि बेलर या रैकर खरीदने पर सरकार द्वारा 50% से 80% तक की सब्सिडी दी जाती है. बेलर की कीमत करीब 17 लाख रुपए और रैकर की कीमत 4 लाख रुपए है. यह अलग-अलग कंपनी और अलग-अलग क्षमता के हिसाब से इनके रेट कम और ज्यादा भी हो सकते हैं.
Tags: Agriculture, Local18, Shahjahanpur News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : August 10, 2024, 13:54 IST

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