Lauki Ki Kheti: धान की फसल की कटाई हो जाने के बाद खाली पड़े खेत में यदि किसान लौकी की खेती करते हैं, तो उन्हें कम समय में अधिक मुनाफा हो सकता है. नवंबर के अंत या दिसंबर के पहले सप्ताह मे बोई जाने वाली यह फसल किसानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकती है. नवंबर से दिसंबर के महीने में यदि लौकी की फसल बोई जाती है, तो वह लगभग फरवरी के महीने तक मंडी में पहुंचने के लिए तैयार हो जाती है. ऐसे में लौकी की फसल की बुवाई कर किसान कम समय में अतिरिक्त लाभ कमा सकते हैं एवं अपनी आय में भी बढ़ोतरी कर सकते हैं.
कम लागत में अधिक पैदावारसर्दियों में लौकी की खेती करने से किसानों को कई फायदे मिल सकते हैं. इस समय में लौकी की फसल पर रोग आदि जैसी समस्या की आशंका न के बराबर होती है, जिससे किसानों को लागत में भी कमी आती है. धान की फसल की कटाई के बाद खेत को अच्छी तरह तैयार कर लेना चाहिए, इसके बाद खेतों में गोबर आदि के बने हुए खाद्य डालना जरूरी होता है, जिससे फसल की पैदावार अच्छी होती है.
खाद्य डालने के बाद खेत की जुताई की जाती है,जिससे मिट्टी भुरभुरी हो जाए और बीज बोना आसान हो सके. जुताई के बाद बीज को एक-एक फीट की दूरी पर बोया जाता है, वहीं बेड से बेड की दूरी लगभग 6 फीट होनी चाहिए. इससे फसल की साइज और गुणवत्ता बेहतर होती है.
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मंडी में ₹50 प्रति किलो तक होती है बिक्रीसर्दी के समय में लौकी की सब्जी की मांग काफी अधिक होती है. आजमगढ़ के किसी विज्ञान केंद्र के कृषि विशेषज्ञ डॉक्टर अखिलेश के अनुसार लौकी की वीएनआर सरिता, महिको 8 और क्लॉउज की नूतन वैरायटी भी लौकी की अच्छी वैरायटी में से एक है. इसकी खेती कर किसान मार्केट में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. मंडी में लौकी की मांग अधिक होने पर प्रति किलो अच्छा मुनाफा भी मिल सकता है. 1 किलो पर औसत ₹40 से ₹50 प्रति किलो की दर से लौकी की बिक्री होती है
Tags: Agriculture, Local18FIRST PUBLISHED : November 7, 2024, 15:41 IST