धान की खेती छोड़ इन फसलों की तरफ आकर्षित हुए रायबरेली के किसान! अगले साल भारी मुनाफे का अनुमान

admin

धान की खेती छोड़ इन फसलों की तरफ आकर्षित हुए रायबरेली के किसान! अगले साल भारी मुनाफे का अनुमान



सौरभ वर्मा/रायबरेली : पूरी दुनिया में मिलेट्स को बढ़ावा देने के लिए भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ने जो शुरुआत की थी उसे पूरा करने में रायबरेली जनपद के किसान अहम भूमिका निभा रहे हैं. पीएम मोदी के पहल के बाद संयुक्त राष्ट्र ने पूरी दुनिया में मोटे अनाजों के उत्पादन के लिए वर्ष 2023 में प्रत्येक देश को जागरूक करने का बीड़ा उठाया है. पूरी दुनिया में भारत मोटे अनाज के उत्पादन में पहले स्थान पर है. ऐसे में मिलेट्स की मांग बढ़ी है और इनकी कीमतों में भी इजाफा हुआ है जिससे किसानों को भी दोगुना फायदा होगा.

मोटे अनाजों की श्रेणी में बाजरा, ज्वार, रागी, कंगनी, कुटकी, कोदो, सवां और चना शामिल हैं. आकड़ों के अनुसार मोटे अनाजों का भाव एक साल में तेजी से बढ़ रहा है. जैसे चना की वर्तमान कीमत ₹7550/क्विंटल है जो दिसंबर 2022 में 4900 रुपए थी. यह अनुमान जताया जा रहा है कि इन मोटे अनाजों का उत्पादन करने वाले किसानों को अगले साल भारी मुनाफा होगा.

आंध्र के किसानों से मिली ट्रेनिंगआपको बता दें कि मिलेट्स सिर्फ सेहत ही नहीं बल्कि किसानों की कमाई बढ़ने का भी जरिया बन रहे हैं. बछरावां कस्बे के किसान सत्यकुमार के मुताबिक मिलेट्स की खेती के बारे में उन्होंने आंध्र प्रदेश राज्य के किसानोंसे जानकारी ली क्योंकि वहां के किसान पहले से इसकी खेती कर रहे थे. उनसे मिलकर खेती के तौर तरीके सीखे जिसके बाद यहां आकर खेती शुरू की.

मिलेट्स की खेती ने बदली किसानों की किस्मतकिसान सत्यकुमार ने बताया कि वह लगभग तीन एकड़ जमीन पर देश में मिलने वाले लगभग 9 प्रकार के मिलेट्स रागी, कोदो, काकुन,कंगनी(सवई) हरी कंगनी, चेना,बाजरी,बाजरा कांटे वाला,बाजार सिट्टेवाला की खेती कर रहे हैं. जिससे वह 20 से 25 हजार रुपए की लागत में सालाना 1 लाख से डेढ़ लाख रुपए तक की कमाई भी कर लेते हैं. उन्होंने बताया की वह बीते वर्ष दरियापुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के नेतृत्व में इंडियन इंस्टीट्यूट आफ मिलेट रिसर्च सेंटर तेलंगाना में 15 दिवसीय तकनीकी प्रशिक्षण के लिए गए हुए थे. वहां से उन्होंने इस खेती के बारे में तकनीकी जानकारी भी हासिल की है.

मोटे अनाजों की बढ़ी डिमांडपोषक तत्वों की प्रचुरता के कारण मोटे अनाजों की लगातार डिमांड बढ़ रही है. बढ़ती हुई डिमांड को देखते हुए किसान भी इन फसलों की खेती करने में रुचि ले रहे हैं. रागी, जिसका दूसरा नाम मडुआ भी है. रायबरेली में शुरू हुए मिलेट मिशन के तहत किसानों को इन फसलों के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. किसान अब धान की खेती के बदले रागी, कोदो और कुटकी की फसल की ओर आकर्षित हो रहे हैं.
.Tags: Local18, Rae Bareli News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : December 9, 2023, 17:50 IST



Source link