धान-गेहूं की खेती छोड़ लगाया केले का बगान, 25000/बीघा की लागत, शुद्ध मुनाफा 35 लाख!

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धान-गेहूं की खेती छोड़ लगाया केले का बगान, 25000/बीघा की लागत, शुद्ध मुनाफा 35 लाख!



देश में किसानों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. धान-गेहूं जैसी पारंपरिक फसलों की खेती में लागत की तुलना में आय बहुत कम है. तेलहन और दलहन की खेती के साथ भी स्थिति कुछ ऐसी है. गन्ने जैसी नगदी फसलों की खेती में भुगतान का संकट रहता है. ऐसे में अगर कोई किसान लीक से हटकर प्रयोग करे तो उसे फसलता मिलने की संभावना काफी बढ़ जाती है. आज की कहानी एक ऐसे ही किसान की है जो धान-गेहूं की खेती छोड़ केले का बगान लगा रहा है. इसके लिए उसने काफी शोध किया और फिर खेती की शुरू की. आज मात्र पांच साल के भीतर यह किसान करोड़पति है. उसकी सालाना शुद्ध कमाई करीब 35 से 40 लाख रुपये की है.

यह कहानी है उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के एक केला किसान की. उक्त किसान का नाम है प्रताप विक्रम सिंह. वह पहले अन्य किसानों की तरह धान, गन्ना और गेहूं ही उगाते थे. लेकिन, उसमें मुनाफा काफी कम था. फिर उन्होंने केले की खेती शुरू की. आज इस खेती से वह सालाना लाखों रुपये की बचत कर लेते हैं. न्यूज18 हिंदी से बातचीज में प्रताप विक्रम सिंह बताते हैं कि वह करीब 14 एकड़ जमीन पर केले की खेती करते हैं. स्थानीय माप में यह 14 एकड़ की जमीन करीब 70 बीघा बैठती है.

महाराष्ट्र से मंगाते हैं पौधेप्रताप विक्रम सिंह बताते हैं कि उनके पास ठीक-ठाक जमीन होने के बावजूद पहले धान-गेहूं और गन्ने की खेती से कोई बचत नहीं होती थी. फिर उन्होंने कुछ नया ट्राई करने का फैसला लिया. इनके इलाके में पहले से ही कई लोग केले की खेती कर रहे थे. फिर उन्होंने भी केले की खेती शुरू की. लेकिन, वह अन्य किसानों की तरह नहीं थे. उन्होंने इस काम को बेहद सावधानी से और काफी रिसर्च के बाद शुरू किया. उन्होंने केले के पैधे की प्राजति से लेकर मिट्टी शोधन और बाजार तक अध्ययन किया. फिर उन्होंने इस फसल को उगाने का फैसला किया.

प्रति बीघा 25 हजार की लागतविक्रम सिंह बताते हैं कि केले के पौधे से लेकर फसल तैयार होने तक उन्हें प्रति बीघा करीब 25 हजार रुपये की लागत आती है. महाराष्ट्र के जलगांव से घर तक लाने में एक पौधा करीब 19 रुपये का पड़ता है. फिर पौधे को रोपने, मजदूरी, सिंचाई, खाद सभी खर्चे मिलाकर प्रति बीघा उन्हें करीब 25 हजार लग जाते हैं. उन्होंने बताया कि एक बीघे में पूरे खर्च अलग कर देने के बाद उनको करीब 50 हजार रुपये का शुद्ध मुनाफा हो जाता है. हालांकि यह मुनाफा काफी कुछ बाजार में केले के रेट पर निर्भर करता है. बीते कुछ सीजन से रेट ठीक है और उन्हें करीब 50 हजार का शुद्ध मुनाफा हो रहा है. विक्रम सिंह ने यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार से इस खेती पर प्रति एकड़ 30 हजार रुपये की सब्सिडी भी मिलती है.

35 लाख की कमाईविक्रम सिंह के पास 70 बीघा जमीन है. इस हिसाब से उन्हें एक साल में करीब 35 लाख रुपये की शुद्ध कमाई हो जाती है. उन्हें इस 70 बीघा में करीब 17.5 लाख रुपये का खर्च आता है. विक्रम बताते हैं कि उनके बागान में करीब-करीब हर समय केला तैयार मिलता है. वह एक साथ पूरे 70 बीघा पर फसल नहीं लगाते. बल्कि पूरे जमीन को कई टुकड़ों में बांट दिया गया है. इससे एक साथ पूरी फसल तैयार नहीं होती. वह बताते हैं कि मौजूदा वक्त में उनके पास छह एकड़ यानी करीब 30 बीघे में फसल तैयार है. अन्य जमीन पर फसल रोपा जा चुका है. गन्ने का फसल करीब 12 से 13 महीने में तैयार हो जाता है. यानी आप साल में आराम से एक जमीन पर एक फसल ले लेते हैं.

दिल्ली में सप्लाई होता है केलाविक्रम सिंह बताते हैं कि मौजूदा 30 बीघे की फसल से उनको करीब 15 लाख रुपये की बचत होगी. उनका फसल दिल्ली से आने के व्यापारी खरीद लेते हैं. बाकी आठ एकड़ यानी 40 बीघे जमीन में अभी फसल लगी है. वह भी कुछ महीनों में तैयार हो जाएगी. रेट ठीक रहा तो उससे भी 20 से 25 लाख रुपये की कमाई हो जाएगी. विक्रम बताते हैं कि एक बीघे में करीब 300 पौधे लगाए जाते हैं. एक पौधे से करीब 300 रुपये का फल निकलता है. यानी एक बीघे में करीब 90 हजार की फसल हुई. खर्चे और अन्य सभी लागत निकाल दें तब भी शुद्ध मुनाफा कम से कम 50 हजार रुपये बीघे निकल ही जाता है.
.Tags: Farming in India, Success StoryFIRST PUBLISHED : November 13, 2023, 18:38 IST



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