चंदन गुप्ता/देवरिया: शहर की उत्तर दिशा में स्थित सोमनाथ मंदिर अपने आप में एक अलग महत्व रखता है. बताया जाता है यह मंदिर लगभग 500 वर्षों का इतिहास समेटे हुए है. इस मंदिर के बगल से सोमना नहर बहती थी. पुजारी के अनुसार बताया गया कि इसी नहर के नाम से सोमनाथ मंदिर का नाम रखा गया. देवरिया जनपद के लिए सोमनाथ मंदिर श्रावण मास में एक श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है, जहां पर शिव भक्तों की भीड़ लगी रहती है.देवरिया के इस सोमनाथ मंदिर में महाशिवरात्रि और श्रावण मास में विशेष तौर से तैयारी की जाती है, जिससे श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो. सावन के प्रत्येक सोमवार को यहां मेला लगता है. भक्तों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मंदिर समिति के लोग और सुरक्षाकर्मी यहां मौजूद रहते हैं. यह सोमनाथ मंदिर भगवान भोलेनाथ को समर्पित है. महाशिवरात्रि और श्रावण मास के बाद इस मंदिर पर कई मांगलिक कार्यक्रम जैसे शादी विवाह किया जाता है. यह देवरिया जनपद में भगवान भोलेनाथ का एकलौता और सबसे प्राचीन मंदिर है.मंदिर का पुराना इतिहासमंदिर के पुजारी ने बताया कि लगभग 400 से 500 वर्षों का पुराना इतिहास इस मंदिर का है. बहुत पहले इस मंदिर के बगल से ही एक सोमना नहर बहा करती थी और उसी के नाम पर इस मंदिर का नाम सोमनाथ रख दिया गया. देवरिया में धीरे-धीरे इस मंदिर की प्रसिद्धि बढ़ने लगी और आज देवरिया के लोगों के लिए यह मंदिर श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है. विशेषकर श्रावण मास में भगवान शिव को जल और बिल्व पत्रों को चढ़ाने के लिए यहां भक्तों की भीड़ लगी रहती है और सावन के हर सोमवार को यहां पर मेले का आयोजन होता है..FIRST PUBLISHED : July 24, 2023, 13:24 IST
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