डिप्रेशन आज के समय में तेजी से उभरती हुई हेल्थ प्रॉब्लम है, जिससे कई सारे लोग पीड़ित हैं. यह एक मेंटल कंडीशन है, जिसमें कई बार लोग सुसाइड करने के प्वाइंट तक पहुंच जाते हैं. ऐसे में डिप्रेशन की गंभीरता को देखते हुए हेल्थ एक्सपर्ट इसके लिए दवा देते हैं.
लेकिन हाल ही में हुए एक अध्ययन में यह सामने आया है कि जो लोग एंटीडिप्रेसेंट दवाओं का लंबे समय तक इस्तेमाल करते हैं, उन्हें अचानक कार्डियक अरेस्ट का खतरा अधिक हो सकता है. अध्ययन के मुताबिक, 1 से 5 साल तक इन दवाओं का सेवन करने वालों में यह खतरा 56 प्रतिशत अधिक होता है, जबकि 6 साल या उससे अधिक समय तक दवा लेने वालों के लिए यह जोखिम 2.2 गुना बढ़ जाता है.
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अचानक हार्ट बीट रुकने के कारण
अचानक हार्ट बीट रुकने का मतलब है, किसी व्यक्ति की असमय मौत जो दिल से संबंधित समस्या के कारण होती है. इस स्थिति में लक्षण दिखने के एक घंटे के अंदर व्यक्ति की मौत हो सकती है. शोधकर्ताओं के अनुसार, एंटीडिप्रेसेंट दवाओं का लंबे समय तक सेवन हार्ट के लिए खतरनाक साबित हो सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जिनकी उम्र 30 से 59 साल के बीच हो.
43 लाख लोगों पर हुई स्टडी
यह स्टडी डेनमार्क के 43 लाख लोगों पर किया गया था. इसमें पाया गया कि 30 से 39 साल की उम्र के लोग, जिन्होंने 1 से 5 साल तक एंटीडिप्रेसेंट दवाएं लीं, उन्हें अचानक कार्डियक अरेस्ट का खतरा दवा न लेने वालों की तुलना में तीन गुना अधिक था. वहीं, 6 साल या उससे अधिक समय तक दवा लेने वालों में यह खतरा पांच गुना तक बढ़ जाता है.
क्या है कारण?
डॉ. जैस्मिन मुज्कानोविक, जो कोपेनहेगन के रिग हॉस्पिटल हार्ट केंद्र से हैं, ने बताया कि एंटीडिप्रेसेंट दवाओं का सेवन जितने लंबे समय तक किया जाएगा, उतना ही कार्डियक अरेस्ट का खतरा बढ़ेगा. यह खतरा व्यक्ति की दवा लेने की अवधि के साथ बढ़ता है. शोधकर्ताओं के अनुसार, 39 साल से कम उम्र के व्यक्तियों में यह समस्या दिल की मांसपेशियों के मोटे होने के कारण हो सकती है, जबकि बुजुर्गों में यह हार्ट को रक्त पहुंचाने वाली नसों के संकुचन के कारण होता है.
-एजेंसी-
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)