सर्दियां पूरी तरह आने से पहले ही दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण का असर दिखाई देने लगा है. दिल्ली एनसीआर की हवा खराब श्रेणी में पहुंच गई है. ऐसे में जो लोग बीमारी नहीं है वो भी प्रदूषण की वजह से मरीज कहलाए जा रहे हैं और अस्पतालों की ओपीडी में डॉक्टर की मदद के लिए पहुंच रहे हैं. देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स ने भी नई रिसर्च से सावधान किया है कि अगर आपको पहले से कोई बीमारी है तो अभी से सावधान हो जाइए, क्योंकि वायु प्रदूषण केवल फेफड़ों के मरीज को ही नहीं, डायबिटीज के मरीज को भी परेशान कर सकता है.
20 अक्टूबर 2023 को दिल्ली के आनंद विहार में एयर क्वालिटी इंडेक्स 260 और लोदी रोड पर 112 है. हालांकि, दिल्ली में 200 की एयर क्वालिटी पर ही मरीज अस्पतालों तक पहुंचने लगे हैं. खांसी और गले में खराश से लेकर दम घुटने तक की शिकायत ने सर्दी में फैलने वाली नई बीमारी को जन्म दिया है. 35 वर्ष के एक पीड़ित गुरनाम इस वक्त इन्हेलर का इस्तेमाल करना सीख रहे हैं क्योंकि रात में सोने और दिन में बाहर निकलने में इनकी सांस फूल रही है.एयर क्वालिटी इंडेक्स को इस तरह समझें0 से 50 – अच्छा (good)51 से 100 – संतोषजनक (satisfactory) 101 से 200 – मध्यम स्तर (moderate) 201 से 300 – खराब (poor) 301 से 400 – बेहद खराब (very poor)401 से 500 – गंभीर स्तर (severe)
क्या बोले डॉक्टर?दिल्ली के पीएसआरआई अस्पताल के श्वास रोग विभाग के चेयरमैन डॉ. जी सी खिलनानी के मुताबिक ओपीडी में अस्थमा के शिकार मरीज अभी से आने लगे है. ऐसे लोगों का फीनो टेस्ट करके हम देख पा रहे हैं कि उनकी सांस नली में सूजन आ चुकी है. FENO (fraction of exhaled nitric oxide) टेस्ट ये बता पा रहा है कि सूजन की वजह मरीज को सांस छोड़ने में कितना जोर लगाना पड़ रहा है. इस टेस्ट के लेवल दिल्ली वालों में काफी बढ़े हुए आ रहे हैं.
जहरीली हवा से किस तरह करें बचाव- दिल्ली वालों को अभी से मॉर्निंग वॉक बंद कर देनी चाहिए क्योंकि सुबह की ठंडी हवा में प्रदूषण के कण ज्यादा नीचे मौजूद रहते हैं.- धूप निकलने पर ही एक्सरसाइज करें.- भीड़ में ना जाएं.- साधारण मास्क की जगह n95 मास्क लगाएं जो प्रदूषण के कणों को रोक सकेगा.- पानी और तरल पदार्थ लेते रहें.- ऐसे लोग जो बहुत बीमार हैं, वो कमरे में एयर प्यूरीफायर लगा सकते हैं.
पब्लिक हेल्थ इमरजेंसीविश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार वायु प्रदूषण एक ‘पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी ’ है क्योंकि दुनिया की 90 प्रतिशत से अधिक आबादी जहरीली हवा में सांस ले रही है. हर साल 88 लाख असमय मौतें खराब हवा में सांस लेने से हो रही हैं, लेकिन भारत में अभी तक प्रदूषण को मृत्यु के कारण के तौर पर दर्ज नहीं किया गया है. शिकागो यूनिवर्सिटी की हाल की रिपोर्ट के मुताबिक वायु प्रदूषण की वजह से भारतीयों की औसत उम्र 5 साल और दिल्ली में रहने वालों की 12 साल तक कम हो जाती है. इसलिए जितना हो सके, घर से बाहर कम निकलें.