देखना चाहते हैं 400 साल पुरानी पांडुलिपियां और राष्ट्रकवि गुप्त की रचनाएं? नोट करें ये पता

admin

सगी बेटी के साथ लंच करने गया था 'विलेन', देखते ही लोगों ने किया टारगेट, चिल्लाकर कहनी पड़ी थी ये बात



शाश्वत सिंह/झांसी: बुंदेलखंड की धरती कला और साहित्य के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. यहां युगकवि तुलसीदास से लेकर राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त तक यहां पर साहित्य रचना कर चुके हैं. बुंदेलखंड की इसी साहित्यिक विरासत से युवाओं को अवगत कराने के लिए बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में एक बुंदेली वीथिका स्थापित की गई है. इस वीथिका में 400 साल पुरानी पांडुलिपियों से लेकर कई मैगजीन के 100 वर्ष से अधिक के संकलन भी यहां रखे गए हैं.

कला संकाय के डीन और हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर मुन्ना तिवारी ने बताया कि यह बुंदेली वीथिका इस उद्देश्य से स्थापित की गई है ताकि यहां आने वाले लोग बुंदेली साहित्य और उसके इतिहास के बारे में जान सकें. यहां वृंदावनलाल वर्मा और मैथिलीशरण गुप्त के हाथ से लिखी कविताएं भी रखी गई हैं. 400 वर्ष पुरानी पांडुलिपियों को भी यहां संग्रहित किया गया है. इसके साथ ही हंस जैसी प्रमुख पत्रिका की 1996 से लेकर सभी कॉपियों को यहां रखा गया है.

क्यूआर कोड से मिलेगी पांडुलिपियों की पूरी जानकारीप्रो. तिवारी ने बताया कि सभी साहित्यकारों के परिवार से मिलकर पांडुलिपियां एकत्रित की गई हैं. हर पांडुलिपि को डिजिटल अपलोड भी किया गया है. हर पांडुलिपि और पुस्तक के बगल में एक क्यूआर कोड लगाया जा रहा है. युवा इस कोड को स्कैन करके भी पुस्तकों और पांडुलिपियों के बारे में जानकारी ले सकते हैं. बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के अलावा भी अगर कोई यहां आना चाहे तो विभाग के अध्यक्ष से अनुमति लेकर आ सकता है.
.Tags: Jhansi news, Local18, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : December 7, 2023, 18:24 IST



Source link