माइग्रेन एक ऐसी स्थिति है, जिसमें सिर में तीव्र दर्द और अन्य लक्षण होते हैं, जैसे उल्टी, चक्कर आना, और रोशनी या आवाज से असहजता. यह एक गंभीर समस्या है, जो लाखों लोगों को प्रभावित करती है. हाल ही में, शोधों ने यह संकेत दिए हैं कि माइग्रेन के दर्द के पीछे विटामिनों की कमी भी एक बड़ा कारण हो सकती है.
हालांकि, माइग्रेन के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन विटामिनों की कमी का असर खासतौर पर इसके बढ़ने में अहम भूमिका निभाता है. इस लेख में हम आपको 5 ऐसे ही विटामिन के बारे में बता रहे हैं, जो माइग्रेन के रिस्क से जुड़े हैं-
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विटामिन बी2 (राइबोफ्लेविन) की कमी
राइबोफ्लेविन की कमी होने से मस्तिष्क के न्यूरोट्रांसमीटर प्रभावित हो सकते हैं, जो माइग्रेन को बढ़ावा देते हैं. कई शोधों में यह पाया गया है कि रिबोफ्लाविन का सेवन माइग्रेन अटैक की तीव्रता को कम कर सकता है. रिबोफ्लाविन मुख्य रूप से दूध, अंडे, हरी पत्तेदार सब्जियों और मांस में पाया जाता है.
विटामिन डी की कमी
विटामिन डी की कमी से शरीर में सूजन और तंत्रिका तंत्र में असंतुलन पैदा होता है, जिससे माइग्रेन होने का जोखिम बढ़ जाता है. माइग्रेन के मरीजों में सबसे ज्यादा विटामिन डी की कमी के मामले मिलते हैं.
विटामिन बी12 की कमी
विटामिन बी12 तंत्रिका तंत्र के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है. इस विटामिन की कमी से तंत्रिका तंत्र में असंतुलन पैदा होता है, जिससे माइग्रेन की समस्या हो सकती है. यह विशेष रूप से शाकाहारी लोगों में अधिक देखा जाता है, क्योंकि बी12 मुख्य रूप से मांस और डेयरी उत्पादों में पाया जाता है.
मैग्नीशियम की कमी
मैग्नीशियम भी माइग्रेन के कारणों में शामिल हो सकता है. मैग्नीशियम की कमी से तंत्रिका तंत्र में अधिक उत्तेजना उत्पन्न होती है, जिससे सिरदर्द की समस्या होती है. अध्ययन बताते हैं कि मैग्नीशियम का सेवन माइग्रेन अटैक को कम कर सकता है. यह खनिज हरी पत्तेदार सब्जियों, नट्स, बीजों, और साबुत अनाजों में पाया जाता है.
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