लखनऊ: दीपावली का त्योहार, जो उत्सव और उल्लास का प्रतीक है, मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीराम ने चौदह वर्ष का वनवास पूरा कर और रावण का वध करके अयोध्या लौटे थे. उनके आगमन पर अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर खुशी मनाई, जिससे दीपावली का चलन शुरू हुआ. हालांकि, समय के साथ त्योहार का स्वरूप बदल चुका है. अब दीपक जलाने के साथ पटाखों का शोर और प्रदूषण भी बढ़ गया है, जो हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए घातक बनता जा रहा है.
पटाखों के धुएं से हवा में जहरीले तत्व घुलकर प्रदूषण का स्तर बढ़ाते हैं, जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है और कई स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं. हर साल दीवाली के बाद यह समस्या गंभीर हो जाती है. लेकिन इस बार, दीवाली के पहले ही लखनऊ का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 168 तक पहुंच चुका है, जो मध्यम स्तर की गुणवत्ता को दर्शाता है. लखनऊ की हवा में इस समय धूल के कण और धुंध व्याप्त हैं, जो दीवाली के बाद और भी बढ़ सकता है.
उत्तर प्रदेश के सबसे प्रदूषित शहरों में आगरा, बुलंदशहर, फतेहपुर सीकरी, और गाजियाबाद प्रमुख हैं, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 200 के पार चला गया है, जो ‘अनहेल्दी’ श्रेणी में आता है. इस समय मौसम में दिन में गर्मी और रात में ठंड के मिश्रण से प्रदूषण का असर और भी खतरनाक हो सकता है.
Tags: Local18, Pollution AQI LevelFIRST PUBLISHED : October 31, 2024, 07:36 IST