प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने एक अहम फैसले में कहा है कि दैनिक वेतनभोगी (Daily Wagers) कर्मचारी की नियुक्ति अगर नई पेंशन योजना (New Pension Policy) लागू होने से पहले हुई है तो वह पुरानी पेंशन पाने का हकदार होगा, भले ही उसका नियमितीकरण नई पेंशन योजना आने के बाद क्यों न हुआ हो. हाईकोर्ट ने कहा कि पेंशन और रिटायरमेंट जनित लाभ के लिए नियुक्ति की तारीख अहम है. कर्मचारी की नियुक्ति उसी तारीख से मानी जाएगी, जिस दिन से वह सेवा में आया है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस सरल श्रीवास्तव की एकल बेंच ने नगर निगम प्रयागराज के कर्मचारी कमालुद्दीन के मामले में यह फैसला दिया है. कोर्ट के समक्ष यह प्रश्न उठा कि एक अप्रैल 2005 के बाद सेवा में नियमित हुए कर्मचारी को पुरानी पेंशन के लिए हकदार माना जाए या नहीं.
दरअसल इस याचिकाकर्ता की नियुक्ति दैनिक वेतनभोगी के तौर पर 1989 में ही हुई थी, मगर उसका नियमितीकरण वर्ष 2008 में हुआ, जबकि अप्रैल 2005 से पुरानी पेंशन योजना समाप्त हो चुकी है. ऐसे में विभाग ने उसे पुरानी पेंशन पाने का हकदार नहीं माना.
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ऐसे में हाईकोर्ट ने इस मामले में प्रेम सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और कौशल किशोर चौबे केस में पारित सुप्रीम कोर्ट के फैसलों पर विचार किया. इनमें कहा गया कि दैनिक वेतनभोगी के तौर पर दी गई सेवा पेंशन लाभ में जोड़ी जानी चाहिए. इसी प्रकार इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अन्य विशेष अपील में कहा है कि पुरानी पेंशन या नई पेंशन का निर्णय करने में कर्मचारी की नियुक्ति की तारीख अहम है.
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