एक शोध में खुलासा हुआ है कि कोविड-19 का कारण बनने वाला वायरस सार्स सीओवी-2 कुछ व्यक्तियों के फेफड़ों में संक्रमण के बाद 18 महीने तक रह सकता है. वायरस का बने रहना जन्मजात प्रतिरक्षा की विफलता (immune failure) से जुड़ा हुआ है. यह शोध नेचर इम्यूनोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुआ है.
कोविड से संक्रमित होने के एक से दो हफ्ते बाद, सार्स सीओवी-2 वायरस आमतौर पर ऊपरी श्वसन नली में पता नहीं चल पाता है. लेकिन, कुछ वायरस संक्रमण पैदा करने के बाद शरीर में गुप्त और अज्ञात तरीके से बने रहते हैं. वे उस स्थान पर बने रहते हैं, जिसे वायरल भंडार के रूप में जाना जाता है, भले ही यह ऊपरी श्वसन पथ या रक्त में अवांछनीय रहता है.शोधकर्ताओं ने 18 महीने तक कोविड से उबर चुके 23 लोगों का अध्ययन किया. अध्ययन में पाया गया कि 10 लोगों के फेफड़ों में सार्स सीओवी-2 वायरस जीवित था. इनमें से 7 लोगों में जन्मजात प्रतिरक्षा प्रणाली की फेलियर थी. शोधकर्ताओं का मानना है कि जन्मजात इम्यून फेलियर वाले लोग वायरस को खत्म करने में सक्षम नहीं होते हैं. इससे वायरस फेफड़ों में रह सकता है और समय के साथ बढ़ सकता है.
शोध के निष्कर्षइस शोध के निष्कर्ष चिंताजनक हैं. ये बताते हैं कि कुछ लोग कोविड-19 से पूरी तरह से ठीक नहीं हो सकते हैं. इन लोगों में वायरस फेफड़ों में रह सकता है और उन्हें लंबे समय तक स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि इस शोध के परिणामों से कोविड-19 के दीर्घकालिक प्रभावों को समझने में मदद मिलेगी. वे यह भी सुझाव देते हैं कि जन्मजात इम्यून फेलियर वाले लोगों को कोविड-19 के लिए विशेष देखभाल की आवश्यकता हो सकती है.
हेल्थ एक्सपर्ट की सलाहइस शोध के निष्कर्षों के आधार पर, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने निम्नलिखित सलाह दी है:- कोविड-19 से उबर चुके सभी लोग नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच करवाएं.- जन्मजात इम्यून फेलियर वाले लोग विशेष सावधानी बरतें.- कोविड-19 के सभी टीकाकरण और अनुशंसित टीकाकरण प्राप्त करें.
इस शोध के निष्कर्षों से पता चलता है कि कोविड-19 एक गंभीर बीमारी है जिसका दीर्घकालिक प्रभाव हो सकता है. सभी लोगों को कोविड-19 से बचने के लिए आवश्यक सावधानी बरतने की आवश्यकता है.