Compassionate job rules anukampa naukri in rajasthan uttar pradesh Bihar MP Haryana chhattisgarh delhi punjab

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Compassionate Job Rules: राजस्‍थान में इस समय शहीदों के आश्रितों को सरकारी नौकरी से जुड़ा मुद्दा काफी गरमाया हुआ है. राज्‍य में शहीदों की विधवाओं ने देवरों को अनुकंपा नौकरी देने की मांग की है. दरअसल, जिन विधवाओं के बच्‍चे नहीं हैं, वे इस तरह की मांग उठा रही हैं. बता दें कि अलग-अलग राज्‍यों में शहीदों और अन्‍य मृतक कर्मचारियों के आश्रितों को सरकारी नौकरी देने के नियम अलग-अलग हैं. सबसे पहले बात करते हैं राजस्‍थान की. राजस्‍थान में कुछ समय पहले ही शहीद के आश्रित को अनुकंपा निुयुक्ति में राहत दी गई थी.

राजस्‍थान सरकार के सूचना व जनसंपर्क विभाग की वेबसाइट के मुताबिक, शहीद के अनुकंपा नियुक्ति के लिए योग्‍य आश्रितों में पत्‍नी या बेटे-बेटी के साथ ही नवासा, नवासी, भाई, बहन, भतीजे, भतीजी, भांजे और भांजी को भी शामिल किया गया है. इसके लिए राज्‍य सरकार ने ‘राजस्थान शहीद रक्षा कार्मिकों के आश्रितों की नियुक्ति नियम, 2022’ को मंजूरी दी थी. इससे पहले तक 15 अगस्‍त 1947 से 31 दिसंबर 1970 के बीच शहीदों के एक आश्रित को राजकीय सेवा में नियुक्ति का प्रावधान था. नए नियम में इसे बढ़ाकर 31 दिसंबर 1971 तक कर दिया गया है. साथ ही इसमें गोद लिए हुए बेटे या बेटी और उनके बच्‍चों को शामिल किया गया है.

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उत्तर प्रदेश

उत्‍तर प्रदेश में क्‍या है नियमउत्‍तर प्रदेश ने भी कुछ साल पहले ही मृतक कर्मचारी के आश्रितों को सरकारी नौकरी के दिशानिर्देशों में संशोधन कर बड़ी राहत दी थी. संसोधित गाइडलाइंस के मुताबिक, अगर मृतक कर्मचारी की पत्‍नी या पति, बेटा या गोद लिया बेटा, बेटियां, विधवा बहू, आश्रित अविवाहित भाई, अविवाहित बहन या विधवा मां को सरकारी नौकरी का प्रावधान है. अगर इनमें से कोई भी नहीं है तो आश्रित पोते या अविवाहित पोती को नौकरी दी जाएगी. इसके अलावा, अगर आश्रित के पास कंप्यूटर कॉन्सेप्ट्स क्वालिफिकेशन नहीं है तो उसे नौकरी मिलने के एक साल के अंदर इस कोर्स को करना होगा.

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इंटरमीडिएट अधिनियम 1921 में संशोधनों के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य की ओर से संचालित स्कूलों में सुपरन्युमररी पोस्ट को क्रिएट करने की व्यवस्था खत्म कर दी. दरअसल, पहले किसी पद के नहीं होने पर सुपरन्युमररी पोस्ट को क्रिएट करके वहां अनुकंपा नियुक्ति की जाती थी. हालांकि, इस पद पर अनुकंपा वाले उम्मीदवार को नियुक्त नहीं किया जाता था. अब आश्रित को उसी स्कूल में नियुक्त किया जाएगा, जहां मृतक कार्यरत था. अगर संबंधित स्कूल में कोई पद खाली नहीं है तो आश्रितों को जिला या संभाग स्तरीय कार्यालय में नौकरी दी जाएगी. अगर संभाग स्तर पर भी कोई पद खाली नहीं है तो संभाग के बाहर किसी अन्य जिले में नियुक्ति पर विचार किया जाएगा.

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मध्‍य प्रदेश करेगी संशोधनमध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार जल्‍द अनुकंपा नियुक्ति के नियमों में संशोधन करने वाली है. बताया जा रहा है कि अब विवाहित पुत्री को भी अनुकंपा नियुक्ति की पात्रता का प्रावधान किया जाएगा. फिलहाल शासकीय कर्मचारी के सेवा में रहने के दौरान निधन होने पर आश्रित पति, पत्‍नी के अलावा बेटे या अविवाहित बेटी को अनुकंपा नियुक्ति देने का प्रावधान है. सामान्य प्रशासन विभाग ने नया प्रस्ताव तैयार कर लिया है. उम्‍मीद की जा रही है कि इस प्रस्‍ताव पर कैबिनेट में जल्‍द निर्णय लिया जाएगा. अब अगर बेटी विवाहित हो और सभी परिजन उसके पक्ष में फैसले ले लें तो भी उसे नियुक्ति नहीं दी जाती है. हालांकि, अगर किसी कर्मचारी की बेटी या बेटियां ही हों और वे विवाहित हों तो आश्रित पति या पत्‍नी की ओर से नामांकित विवाहित बेटी को अनुकंपा नियुक्ति मिल जाती है. हालांकि, उसे कर्मचारी की जीवत पत्‍नी या पति की जिम्‍मेदारी उठाने का शपथपत्र देने पड़ता है.

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हरियाणा में कौन है आश्रितहरियाणा में शहीदों और युद्ध में घायल हुए सैनिकों के आश्रितों को नौकरी देने की योजना है. योजना के मुताबिक, शहीद का विवाहित या अविवाहित बेटा, बेटी के अलावा पत्‍नी और भाई को आश्रित माना गया है. दूसरे शब्‍दों में कहें तो इनमें से किसी को भी अनुकंपा नियुक्ति दी जा सकती है. योजना में गोद लिया हुआ पुत्र व पुत्री भी शामिल हैं. हालांकि, इसमें बहन को अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी देने का प्रावधान नहीं है.

बिहार में 30 साल बाद हुआ संशोधनबिहार में 30 साल बाद मृतक कर्मचारी के आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति के नियमों में संशोधन किया गया है. संशोधन के बाद बिहार सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया था कि मृत सरकारी सेवक के पति, पत्‍नी के पेंशनर होने की स्थिति में भी उसके आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति का लाभ दिया जाएगा. बता दें कि पहले बिहार में अगर मृतक कम्रचारी की पत्‍नी या पति को पेंशन का लाभ मिल रहा होता था तो आश्रित को अनुकंपा नौकरी का प्रावधान नहीं था. बिहार सरकार ने नियमों में संशोधन कर इसे हटा दिया था.

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