संसद और विधानसभाओं में जिन महान कवियों की कविताएं गूंजती हैं, उनमें राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ और प्रमुख गजलकार ‘दुष्यंत कुमार’ शामिल हैं. इन दिनों एक और कवि ‘वीरेंद्र वत्स’ की रचनाएं भी संसद और विधानसभाओं में पढ़ी जा रही हैं. आपने “नज़र नहीं है, नज़ारों की बात करते हैं” यह गजल तो अवश्य सुनी होगी. जी हां, वही गजल जिसे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सदन में पढ़ा था. इसी तरह कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी यह गजल राज्यसभा में पढ़ी थी. कांग्रेस अपने चुनाव अभियानों और पदयात्राओं में इस गजल का प्रयोग एक अस्त्र की तरह करती है.
वीरेंद्र वत्स का मंच पर काव्य-पाठ से परहेजकवि और गीतकार वीरेंद्र वत्स ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि वह मंच पर काव्य-पाठ से परहेज करते हैं, और इसके पीछे एक खास वजह है. दरअसल, हिंदी साहित्य में एम.ए. करने के लिए उनका दाखिला 1984 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हुआ था. इसी दौरान, वह हर रविवार महीयसी महादेवी वर्मा को सुनने और मिलने उनके प्रयागराज स्थित अल्लापुर वाले घर जाते रहते थे.
महादेवी वर्मा के साथ मुलाकातवीरेंद्र जी ने बताया कि एक दिन महादेवी वर्मा के घर नेपाल के कवि गुलाब खेतान और वह खुद बैठे थे. महादेवी जी ने उनसे पूछा, “क्या करते हो?” तो उन्होंने जवाब दिया, “कविताएं लिखता हूं.” महादेवी जी के कहने पर वीरेंद्र जी ने अपनी जेब से एक कविता निकाली और उन्हें दी.
महादेवी वर्मा की सलाहइसके बाद वीरेंद्र जी ने अपना परिचय देते हुए बताया कि वह इसी महीने गाजीपुर और प्रतापगढ़ के कवि सम्मेलन में गए थे. इस पर महादेवी जी गंभीर हो गईं और कहा, “यदि ताली का चस्का लग गया, तो तुम्हारी कविताओं की गहराई खत्म हो जाएगी.” महादेवी जी ने आगे कहा, “पहचान इस जन्म में बने या अगले जन्म में, यह महत्वपूर्ण नहीं है. महत्वपूर्ण यह है कि अच्छी कविताओं का सृजन हो.”
Tags: CM Yogi, Local18, Lucknow news, Special Project, UP Vidhan SabhaFIRST PUBLISHED : October 24, 2024, 21:42 IST