चुनाव खत्म होते ही फिर शुरू चाचा-भतीजे में जंग, अखिलेश से नाराज शिवपाल रखेंगे ‘नेताजी’ के सामने बात

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चुनाव खत्म होते ही फिर शुरू चाचा-भतीजे में जंग, अखिलेश से नाराज शिवपाल रखेंगे 'नेताजी' के सामने बात



इटावा. समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) और उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) के बीच 2017 में शुरू हुआ सत्ता संघर्ष एक बार फिर से दिखाई देने लगा है. रविवार को शिवपाल सिंह यादव इटावा से नई दिल्ली चले गये हैं. शिवपाल सिंह यादव नई दिल्ली में अपने बडे भाई मुलायम सिंह यादव के समक्ष अपना दर्द बयां कर सकते हैं. हाल ही में शिवपाल को अखिलेश ने विधायक दल की बैठक में नहीं बुलाया था, जिस कारण वह अखिलेश से बेहद नाराज बताए जा रहे हैं.
शिवपाल सिंह यादव के नई दिल्ली जाने को लेकर 28 मार्च को लखनऊ में सपा गठबंधन के विधायको की प्रस्तावित बैठक में भी शामिल होने को लेकर संशय बन गया है, क्योंकि 28 मार्च को पूर्वान्ह 11 बजे से समाजवादी पार्टी कार्यालय पर सपा गठबंधन के विधायकों की बैठक होना तय है. हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को उत्तर प्रदेश की सत्ता से बेदखल करने के लिये प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) अध्यक्ष शिवपाल अपने भतीजे के साथ खड़े हो गए थे, लेकिन नतीजे प्रतिकूल नहीं आने से दोनों के बीच अनबन की बातें भी सामने आने लगी हैं.
शिवपाल अपनी परंपरागत सीट जसवंत नगर विधानसभा से सपा के चुनाव चिन्ह ‘साइकिल’ पर चुनाव मैदान में उतरे थे, लेकिन जब विधानसभा चुनाव के नतीजे सपा गठबंधन के पक्ष में नहीं आए तो शिवपाल सीधे तौर पर अखिलेश पर निशाना साधने लगे हैं. 26 मार्च को सपा मुख्यालय में हुई पार्टी विधायक दल की बैठक में शिवपाल को आमंत्रित नहीं किया गया तो नाराज शिवपाल ने पत्रकारों से कहा कि वह अब अपने गृह जिले इटावा जा रहे हैं. जहां अपने लोगों के बीच बैठकर के निर्णय करेंगे और उसके बाद कोई सही ऐलान किया जाएगा.
राजधानी लखनऊ से शिवपाल सीधे अपने विधानसभा क्षेत्र जसवंतनगर के उदयपुरा कला गांव पहुंचे जहां वे प्रसपा की छात्र सभा इकाई के महासचिव प्रशांत यादव के यहां हो रही भागवत समारोह में शामिल हुए. उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए रामायण और महाभारत के चरित्रों का उदाहरण देते हुए कहा ‘हमें हनुमान की भूमिका भूलनी नहीं चाहिए, क्योंकि हनुमान की वजह से राम ने रावण के खिलाफ युद्ध में जीत हासिल की थी.
भगवान राम का राजतिलक होने वाला था, लेकिन उनको वनवास जाना पड़ा. इतना ही नहीं हनुमान जी की भूमिका भी बेहद महत्वपूर्ण थी, क्योंकि अगर वह नहीं होते, तो राम युद्ध नहीं जीत पाते. ये भी याद रखने वाली बात है कि हनुमान ही थे, जिन्होंने लक्ष्मण की जान बचाई.’ शिवपाल ने कहा कि विषम परिस्थितियां कभी-कभी सामने आती हैं. आमजन ही नहीं, भगवान पर भी विषम परिस्थितियां आईं. कई संकट आए लेकिन अंत में जीत सत्य की ही होती है.

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