चित्रकूट रामघाट चरखारी राधा-कृष्ण मंदिर: आस्था और मान्यताओं का केंद्र

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Agency:News18 Uttar PradeshLast Updated:February 04, 2025, 12:21 ISTमान्यता है कि यहां जो भी भक्त भगवान को बांसुरी अर्पित करता है, उसकी निःसंतानता की समस्या दूर हो जाती है और उसे संतान सुख की प्राप्ति होती है.X

फोटोहाइलाइट्सचित्रकूट के राधा-कृष्ण मंदिर में निसंतान दंपतियों की भीड़ लगती है.बांसुरी अर्पित करने से भक्तों को संतान सुख की प्राप्ति होती है.मंदिर का निर्माण महारानी रूप कुंवर ने 1700-1800 ईसवी में करवाया था.चित्रकूट: धर्म नगरी चित्रकूट अपने पवित्र स्थलों के लिए विख्यात है. यहां स्थित रामघाट का चरखारी राधा-कृष्ण मंदिर आस्था और मान्यताओं का एक अनोखा केंद्र है. यह मंदिर केवल अपने धार्मिक महत्व के लिए ही नहीं बल्कि एक विशेष मान्यता के लिए भी प्रसिद्ध है. कहा जाता है कि जो भी भक्त इस मंदिर में सच्चे मन से राधा-कृष्ण को बांसुरी अर्पित करता है उसकी सूनी गोद भर जाती है.

मंदिर की  स्थापना

बता दें कि चित्रकूट के रामघाट में बने इस चरखारी मंदिर का निर्माण 1700 से 1800 ईसवी के बीच महारानी रूप कुंवर द्वारा करवाया गया था. उस समय पन्ना स्टेट की रियासत चित्रकूट क्षेत्र पर शासन कर रही थी. आज भी इस मंदिर में दूर-दूर भक्त दर्शन के लिए आते हैं.

महंत ने दी जानकारी 

मंदिर के महंत चंदन दीक्षित ने लोकल18 को बताया कि महाराज मलखान सिंह युद्ध के दौरान वीरगति को प्राप्त हो गए थे. उनके निधन के बाद महारानी रूप कुंवर ने अपने जीवन को पूरी तरह भगवान राधा-कृष्ण की भक्ति में समर्पित कर दिया और इस भव्य मंदिर का निर्माण करवाया, महारानी रूप कुंवर ठाकुर जी को बाल स्वरूप में मानती थीं और उनकी सेवा बालक की तरह करती थीं. आज भी इस मंदिर में राधा-कृष्ण की प्रतिमाएं भक्तों को अपनी दिव्यता का अहसास कराती हैं.  मान्यता है कि यहां जो भी भक्त भगवान को बांसुरी अर्पित करता है, उसकी निःसंतानता की समस्या दूर हो जाती है और उसे संतान सुख की प्राप्ति होती है.

दूर-दूर से आते हैं भक्त

यह मंदिर न केवल स्थानीय लोगों के लिए आस्था का केंद्र है, बल्कि देशभर से श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं. निःसंतान दंपतियों के लिए यह मंदिर विशेष रूप से पूजनीय है. भक्तजन यहां आकर भगवान राधा-कृष्ण के चरणों में बांसुरी अर्पित कर अपनी मनोकामना पूरी होने की प्रार्थना करते हैं. चरखारी मंदिर अपनी स्थापत्य कला और ऐतिहासिक महत्व के लिए भी जाना जाता है. मंदिर के महंत चंदन दीक्षित ने बताया कि यहां आने वाले भक्तों की आस्था कभी विफल नहीं होती राधा-कृष्ण की कृपा से उनकी सूनी गोद भर जाती है, यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और आज भी उतनी ही जीवंत है.
Location :Chitrakoot,Uttar PradeshFirst Published :February 04, 2025, 12:08 ISThomeuttar-pradeshइस राधाकृष्ण मंदिर में बंसी भेट करने से भर जाती है सूनी गोद, जाने इसकी मान्यताDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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