धीरेन्द्र शुक्ला/चित्रकूट. हमारे देश में हनुमान जी की कई स्वरुपों में पूजा की जाती है. कहीं दक्षिणमुखी प्रतिमा है तो कहीं लेटे हुए अवस्था में हैं. हर जगह अलग-अलग तरीके से पूजन और भोग लगाया जाता है लेकिन ज्यादातर लड्डू और बूंदी का भोग लगाया जाता है. बताया जाता है कि हनुमान जी को तुलसी दल अतिप्रिय है. आज हम आपको चित्रकूट के अनोखे हनुमान मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं. जहां पर मंदिर में भांग का भोग लगाया जाता है.भक्तों के भक्त कहे जाने वाले पवनपुत्र हनुमान का एक अद्भुत रूप भगवान राम की कर्म भूमि चित्रकूट में है. मान्यता है कि इस मंदिर में आने पर सभी संकट दूर करते हैं. कहते हैं त्रेतायुग में ऋषि अत्रिमुनी की तपस्या से प्रकट हुई मन्दाकिनी नदी की गोद से बूढ़े हनुमान की यह दुर्लभ प्रतिमा निकली थी. चित्रकूट के भक्तों की मानें तो इन बूढ़े हनुमान जी के दर्शन मात्र से भक्तों के संकट पलभर में ही दूर हो जाते हैं. यह मूर्ति 400 साल पुरानी बताई जाती है और तब इसको बनारस के विद्वान पंडितों ने मंदिर में स्थापित किया था.जब घुटती है भांग तो मिलता है बजरंगबली का वरदानमंदिर में भांग के भोग से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं. यहां पर तीसरे पहर में भांग का भोग चढ़ाया जाता है. तीसरा पहर भोलेनाथ का होता है यही वजह है कि ये बूढ़े हनुमान कहलाते हैं. बूढ़े हनुमान का रूप जितना चमत्कारी है उतना ही इनके चढ़ावे का भी महत्व है क्योंकि इनके भांग के भोग का प्रसाद चढ़ाने से भोले नाथ के साथ हनुमान भी खुश हो जाते हैं. यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु बूढ़े हनुमान की प्राचीन मंदिर में आकर आरती और वंदन के साथ हनुमान चालीसा का भी पाठ करते हैं.भांग का भोग लगाने वाले भक्तों की मनोकामना होती है पूरीबूढ़े हनुमान जी के पूजारी राम जी मिश्रा बताते हैं कि मैं 40 साल से बूढ़े हनुमान मंदिर में भांग का भोग लगाता हूं. उन्होंने भांग के प्रसाद का महत्व बताते हुए कहा कि पहले पहर में हनुमान की आरती 1 लड्डू से की जाती है फिर दूसरे पहर में फल का उपयोग किया जाता है और तीसरे पहर में भांग के चढ़ावे से हनुमान पूरी तरह खुश हो जाते हैं और मनचाहा भक्तों को वरदान दे देते हैं..FIRST PUBLISHED : June 27, 2023, 15:21 IST
Source link