रिपोर्ट: धीरेन्द्र शुक्लाचित्रकूट. चित्रकूट के पाठा इलाकों से वन्यजीवों का लगातार पलायन हो रहा है. वन जीवों पर ज़ुल्म और उनकी अनदेखी के चलते बेजुबान जीव पलायन करने को मजबूर हो गए है. ऐसा लग रहा है कि यहां वन्य प्राणियों को सरकारी या गैर सरकारी संरक्षण सिर्फ कागजी ही रह गया है. विंध्यांचल की पर्वतमाला कभी वन्यजीवों से गुलजार रहती थी, लेकिन अब गिने चुने ही वन्यजीव नजर आते हैं. चित्रकूट में हर वर्ष बंदरों की संख्या में लगातार कमी आ रही है. इसका सबसे बड़ा कारण है बंदर सड़क पार करते समय वाहनों के शिकार हो जाते है.
बुंदेलखंड में नीलकंठ और उल्लू पक्षी भी दुर्लभ हो गए हैं. इन दोनों पक्षियों का धार्मिक दृष्टि से महत्व है. विजयदशमी (दशहरा) के अवसर पर नीलकंठ का दर्शन करना शुभ माना जाता है. लेकिन इसके दर्शन दुर्लभ हो गए हैं. गिद्ध और गौरैया भी ढूंढे़ नहीं मिलते. जीव-जंतुओं की सुरक्षा के लिए हर वर्ष केंद्र और प्रदेश सरकारें करोड़ों रुपये खर्च कर रही हैं, लेकिन नतीजा कुछ खास नहीं आ रहा.
भरा पूरा वन्यजीव संसार सुरक्षित नहींचित्रकूट के रानीपुर टाइगर रिजर्व के उप निदेशक पीके त्रिपाठी ने इस बात की पुष्टि की है कि चित्रकूट के काले हिरन भी विलुप्त हो रहें हैं. बांदा में इनकी संख्या मात्र 59 बताई गई है. हमीरपुर में 43 और चित्रकूट में 1456 काले हिरन हैं. हमीरपुर जनपद में कबूतरा जनजाति के शिकार से वहां गिद्ध आदि पक्षियों की संख्या में गिरावट आई है. महिलाओं के लिए बनाई जाने वाली लिपस्टिक का प्रयोग पहले परीक्षण के दौर पर खरगोश की आंख पर किया जाता है. अक्सर खरगोश इससे अंधे हो जाते हैं. वन्य जीव संरक्षण अधिनियम जंगल में कम और कागजों में ज्यादा प्रभावी है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Forest areaFIRST PUBLISHED : March 31, 2023, 14:03 IST
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