Does age play a barrier in bone marrow transplant: बच्चों के कैंसर में सबसे आम तौर पर ल्यूकेमिया के रूप में सामने आता है, जिसमें एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (Acute Lymphoblastic Leukemia) सबसे प्रेवेलेंट टाइप है. बचपन के ल्यूकेमिया के मामलों में, तकरीबन 85-90% फर्स्ट लाइन ट्रीटमेंट से छूट हासिल करते हैं. हालांकि, लगभग 10-15% मामलों में, फिर से बीमारी होने के जोखिम को बढ़ाने वाले अंडरलाइंग जेनेटिक एब्नॉर्मेलिटीज के कारण रिमिशन में नहीं जा सकता है. इन बच्चों के लिए, शुरुआती ट्रीटमेंट के बाद अक्सर बोन मैरो ट्रांसप्लांट जरूरी होता है.
बोन मैरो ट्रांसप्लांट में उम्र का कितना रोल है?डॉ. नितिन एसजी (Dr. Nithin SG), कंसल्टेंट, मेडिकल ऑन्कोलॉजी, सीके बिड़ला हॉस्पिटल दिल्ली, ने बताया कि स्टडीज से पता चला है कि बोन मैरो ट्रांसप्लांट की कामयाबी में उम्र का रोल होता है. जबकि ये आमतौर पर बच्चों के लिए एक सेफ प्रोसीजर है, ओल्डर एडल्ट्स, खास तौर से डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसे कॉम्पलिकेशंस का ज्यादा खतरा होता है.
बच्चों में बेहतर रिजल्टडॉक्टर ने आगे कहा कि बच्चे आमतौर पर कीमोथेरेपी और बोन मैरो ट्रांसप्लांट को अच्छी तरह से सहन करते हैं, जिससे बेहतर रिजल्ट्स मिलते हैं. इसके उलट, ज्यादा उम्र ओवरऑल हेल्थ स्टेटस और एडिशनल रिस्क फैक्टर्स की मौजूदगी के कारण खराब पूर्वानुमान से जुड़ा है. इसके अलावा, ए़डल्ट ल्यूकेमिया अक्सर ज्यादा अग्रेसिव बायोलॉजिकल और जेनेटिक विशेषताओं को प्रदर्शित करते हैं, जो ट्रांसप्लांटेशन की कामयाबी को नेगेटिव तौर से प्रभावित कर सकते हैं.
कम वजन वाले बच्चों को थोड़ा खतराडॉ. नितिन के मुताबिक बच्चों में बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए, रिजल्ट को प्रभावित करने वाला एक और अहम फैक्टर्स शरीर का वजन है. लो बर्थ वेट वाले या जो अपनी उम्र के हिसाब से काफी कम वजन के हैं, उन्हें ट्रांसप्लांट प्रोसीजर के दौरान बढ़े हुए जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है. इन चुनौतियों के बावजूद, बच्चों में बोन मैरो ट्रांसप्लांट को आम तौर पर सुरक्षित माना जाता है और इसकी सफलता दर ज्यादा होती है. प्रोपर मेडिकल मैनेजमेंट और ट्रांसप्लांट टेक्निक में प्रगति के साथ, ल्यूकेमिया वाले कई बच्चे लॉन्ग टर्म रिमिशन और जीवन की बेहतर क्वॉलिटी ऑफ लाइफ हासिल कर सकते हैं.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.