ब्राजील के शोधकर्ताओं ने नींद में सांस रुकने की बीमारी (ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया) के खतरे का पता करने के लिए एक आसान तरीका खोज निकाला है. नींद में सांस रुकने की बीमारी एक गंभीर स्थिति है, जो नींद के दौरान गले की मसल्स के कमजोर होने के कारण बार-बार सांस लेने में रुकावट का कारण बनती है.
साओ पाउलो के फेडरल यूनिवर्सिटी (UNIFESP) के स्लीप इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए इस अध्ययन में, खून में होमोसिस्टीन नामक अमीनो एसिड के लेवेल को मापा गया. अध्ययन में पाया गया कि होमोसिस्टीन का हाई लेवल नींद में सांस रुकने की बीमारी के बढ़े हुए खतरे से जुड़ा हुआ है. अध्ययन के अनुसार, 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए नियमित जांच के दौरान ब्लड टेस्ट में होमोसिस्टीन टेस्ट को शामिल करना फायदेमंद हो सकता है. यह जांच सरल और कम लागत वाली है.
अध्ययन के मुख्य लेखक मोनिका लेवी एंडरसन का कहना है कि हमें अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि नींद में सांस रुकने से खून में होमोसिस्टीन का लेवल बढ़ता है या इस अमीनो एसिड के लेवल में वृद्धि गंभीर नींद apena का कारण बनती है. हमारी परिकल्पना है कि यह दोनों तरफ से प्रभावित करने वाला संबंध है.
अध्ययन के निष्कर्षअध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों के खून में होमोसिस्टीन का लेवल 15 माइक्रोमोल्स प्रति लीटर से अधिक था, उनमें नींद में सांस रुकने का खतरा अधिक था. अध्ययन में यह भी पाया गया कि जिन लोगों में नींद apena का हल्का या मध्यम रूप पाया गया, उनके भविष्य में गंभीर रूप विकसित होने का खतरा भी अधिक था. अध्ययनकर्ताओं का मानना है कि होमोसिस्टीन के लेवल की जांच नींद में सांस रुकने की बीमारी के शुरुआती पता लगाने में मददगार हो सकती है. हालांकि, शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि भविष्य में और अधिक व्यापक डेटा प्राप्त करने के लिए इस दिशा में और शोध की आवश्यकता है.