रिपोर्ट: धीरेन्द्र शुक्ला
चित्रकूट: चैत्र नवरात्र की शुरुआत हो चुकी है. भगवान राम की तपोभूमि चित्रकूट अनादि काल से महान ऋषि-मुनियों की तपोस्थली रही है. ऐसी मान्यता है कि यदि कोई भक्त चैत्र की नवरात्रि में चित्रकूट में कामदगिरि पर्वत कि परिक्रमा करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. कामदगिरि पर्वत के बारे में बताया जाता है कि त्रेता युग में वनवास काल के दौरान यहां पर भगवान राम, माता सीता और भ्राता लक्ष्मण निवास करते थे.
कथा के अनुसार, प्रभु राम वनवास काल के दौरान सबसे ज्यादा समय इसी कामदगिरि पर्वत पर रहे हैं. भगवान राम ने सीता और लक्ष्मण के साथ पावन चित्रकूट में वनवास के साढ़े 11 वर्ष व्यतीत किए थे. मान्यता है कि वनवास काल का समय पूरा करने के बाद भगवान राम जब यहां से जाने लगे तो कामदगिरि पर्वत को आशीर्वाद देकर गए कि यदि कोई भी भक्त कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा पूरी करेगा तो उसकी हर मुराद पूरी होगी. तब से लेकर आज तक लोग यहां पर परिक्रमा जरूर लगाते हैं. साथ ही यदि कोई भी श्रद्धालु नवरात्रि के दिनों में प्रभु राम को याद करते हुए पर्वत की परिक्रमा करते हैं तो उनकी मुराद अवश्य ही पूरी होती है.
रामनवमी पर होता है आयोजनकामदगिरि पर्वत के महंत मदन गोपाल दास ने बताया कि भगवान राम ने वनवास काल के साढ़े 11 वर्ष चित्रकूट के कामदगिरि पर्वत पर बिताए हैं, इसलिए चित्रकूट के कामदगिरि पर्वत का महत्व सबसे अधिक मंडल में माना जाता है. यहां पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु चैत्र की नवरात्रि में भगवान राम को याद करते हैं और साथ ही अपनी मन्नतें मांगते हैं. सबसे खास बात यह है कि चित्रकूट में रामनवमी में बड़ी धूमधाम से प्रभु राम को याद किया जाता है.
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