Cancer Radiation Therapy Can Be More Effective, Oncologists Solve 30 Year Old Medical Puzzle | अब रेडियोथेरेपी से कैंसर और जल्दी मरेगा! एक्सपर्ट्स ने सुलझाई 30 साल पुरानी मेडिकल प्रॉब्लम

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Cancer Radiation Therapy Can Be More Effective, Oncologists Solve 30 Year Old Medical Puzzle | अब रेडियोथेरेपी से कैंसर और जल्दी मरेगा! एक्सपर्ट्स ने सुलझाई 30 साल पुरानी मेडिकल प्रॉब्लम



Cancer Radiotherapy: वैज्ञानिकों ने 30 साल पुरानी एक मेडिकल पहेली को सुलझा लिया है. इससे कैंसर के इलाज में रेडिएशन थेरेपी की इफेक्टिवनेस (असर) को बढ़ाने की संभावना जगी है. ऑस्ट्रेलिया के चिल्ड्रन मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर टोनी सेसरे के नेतृत्व में चली स्टडी Nature Cell Biology जर्नल में छपी है. इस स्टडी का मकसद यह समझना था कि रेडिएशन थेरेपी के बाद सभी कैंसर कोशिकाएं एक ही तरह से क्यों नहीं मरतीं.
कैंसर और रेडिएशन थेरेपी
रेडिएशन थेरेपी कैंसर कोशिकाओं के डीएनए को नुकसान पहुंचाकर उन्हें खत्म करने का काम करती है. यह प्रक्रिया कोशिकाओं में मौत को ट्रिगर करती है. हालांकि, एक ट्यूमर में सभी कैंसर कोशिकाएं रेडिएशन थेरेपी के बाद समान तरीके से नहीं मरतीं. अब तक वैज्ञानिक यह नहीं समझ पाए थे कि ऐसा क्यों होता है.
नई स्टडी से क्या पता चला?
प्रोफेसर सेसरे के मुताबिक, ‘हमारी कोशिकाओं के डीएनए में लगातार नुकसान होता रहता है, और इसे ठीक करने के लिए डीएनए मरम्मत की प्रक्रिया चलती रहती है.’ लेकिन रिसर्च में पता चला कि जब डीएनए को बहुत ज्यादा नुकसान होता है, जैसे कि रेडिएशन थेरेपी के दौरान, तो मरम्मत प्रक्रिया कैंसर कोशिका को मरने का तरीका ‘सिखा’ सकती है.
टीम ने लाइव सेल माइक्रोस्कोप तकनीक का इस्तेमाल करके रेडिएशन के बाद कोशिकाओं पर एक सप्ताह तक नजर रखी. उन्होंने पाया कि जब डीएनए मरम्मत ‘होमोलॉगस रिकॉम्बिनेशन’ नामक प्रक्रिया से होती है, तो कैंसर कोशिकाएं माइटोसिस (कोशिका विभाजन) के दौरान मर जाती हैं.
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प्रोफेसर सेसरे के अनुसार, ‘माइटोसिस के दौरान हुई मृत्यु पर इम्यून सिस्टम प्रतिक्रिया नहीं करता, क्योंकि यह प्रक्रिया इम्यून सिस्टम को अलर्ट नहीं करती. यह वह स्थिति नहीं है जो हम चाहते हैं.’
स्टडी में यह भी पाया गया कि जब कोशिकाएं अन्य डीएनए मरम्मत प्रक्रियाओं का इस्तेमाल करती हैं, तो वे माइटोसिस से बच जाती हैं, लेकिन डीएनए मरम्मत के उप-उत्पाद (byproducts) को सेल में छोड़ देती हैं. सेसरे ने कहा, ‘कोशिका को ये मरम्मत उप-उत्पाद बैक्टीरिया या वायरस के संक्रमण की तरह लगते हैं. इससे कोशिकाएं ऐसे तरीके से मरती हैं, जो इम्यून सिस्टम को अलर्ट करती हैं. और यही हम चाहते हैं.’
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30 साल पुरानी पहेली का जवाब
स्टडी की को-ऑथर प्रोफेसर हैरियट गी हैं, जो वेस्टर्न सिडनी लोकल हेल्थ डिस्ट्रिक्ट रेडिएशन ऑन्कोलॉजी नेटवर्क की रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट हैं. उन्होंने कहा कि इस खोज ने एक ऐसे सवाल का जवाब दिया है, जिसने 30 सालों तक ऑन्कोलॉजिस्ट्स (कैंसर एक्सपर्ट) को परेशान किया था.
यह खोज बताती है कि कैंसर कोशिकाओं को ऐसे मरने के लिए मजबूर किया जा सकता है, जिससे इम्यून सिस्टम को अलर्ट किया जा सके. रेडिएशन थेरेपी पर यह नई खोज कैंसर ट्रीटमेंट में एक बड़ा बदलाव ला सकती है.
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