स्तन कैंसर महिलाओं को होने वाला एक प्रमुख कैंसर है. उम्र, जेनेटिक्स और लाइफस्टाइल जैसे कई फैक्टर स्तन कैंसर के खतरे को प्रभावित करते हैं. हाल ही में टीवी एक्ट्रेस हीना खाना को ब्रेस्ट कैंसर का पता चला है, जिसके बाद एक बार फिर इस विषय पर सबकी रुची जाग गई है. हर महिला को अपने स्तन कैंसर के खतरे को जानने और कम करने के उपाय करने चाहिए. ऐसा ही एक सवाल अक्सर महिलाओं के मन में आता है कि क्या ज्यादा बच्चे पैदा करने से स्तन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है? इस विषय पर डॉ. रितिका हरजानी हिंदुजा ने अपने विचार शेयर किए.
हिन्दुस्तान टाइम्स के साथ एक इंटरव्यू में पीडी हिंदुजा अस्पताल में ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. रितिका हरजानी हिंदुजा ने बताया कि स्तन कैंसर होने का खतरा महिलाओं में उनके अंडाशय द्वारा उत्पादित हार्मोन (एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन) के संपर्क से लिंक होता है. उन्होंने कहा कि प्रजनन से जुड़े फैक्टर (जैसे- अंडाशयी हार्मोन्स के संपर्क की अवधि या लेवल को बढ़ाते हैं, जो सेल्स वृद्धि को उत्तेजित करते हैं) उन्हें स्तन कैंसर के खतरे में वृद्धि के साथ जोड़ा गया है. पीरियड्स का जल्दी शुरू होना, मेनोपॉज का देर से शुरू होना और अन्य फैक्टर भी स्तन के टिशू को लंबे समय तक हार्मोन के हाई स्तर के संपर्क में आने का कारण बनते हैं, जैसे कि देर से प्रग्नेंसी और कभी गर्भधारण ना करना.
प्रेग्नेंसी और स्तनपानगर्भावस्था और स्तनपान एक महिला के मेंस्ट्रुअल साइकिल की संख्या को कम करते हैं और इस प्रकार अंतर्जात हार्मोन्स के उनके संचयी जोखिम को कम करते हैं, जो स्तन कैंसर के खतरे को कम करने से जुड़ा है. गर्भावस्था और स्तनपान का महिला के शरीर पर पड़ने वाला प्रभाव यह है कि वे ब्रेस्ट सेल्स की अलग पहचान करते हैं या मेच्योर होने के लिए प्रेरित करती हैं ताकि वे प्रभावी रूप से दूध का उत्पादन कर सकें. ये सेल्स कैंसर के प्रति ज्यादा रजिस्टेंट होती हैं.
प्रेग्नेंसी की उम्रपहली संतान जन्म देने की उम्र और जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या स्तन कैंसर के खतरे से संबंधित है. प्रेग्नेंट महिला के लिए थोड़े समय के लिए कैंसर के खतरे को बढ़ा सकती है, जबकि यह लंबे समय में कैंसर के खतरे को कम भी करती है. कम उम्र में पहली संतान पैदा करने वाली महिलाओं में देर से गर्भावस्था चुनने वाली या बिल्कुल बच्चे पैदा ना करने वाली महिलाओं की तुलना में स्तन कैंसर होने की संभावना कम होती है.
सेल्स में जेनेटिक डैमेजप्रग्नेंसी के दौरान ब्रेस्ट सेल्स में तेजी से वृद्धि होती है. इसलिए, प्रेग्नेंसी के दौरान ब्रेस्ट सेल्स में किसी भी प्रकार की जेनेटिक डैमेज भी उसके विकास के साथ दोहराई जाती है. जेनेटिक डैमेज का यह तेजी से दोहराव भी स्तन कैंसर का कारण बन सकता है.
हार्मोन रिसेप्टर पॉजिटिव स्तन कैंसरकई बार कई बार जन्म देने से हार्मोन-नेगेटिव सेल्स का असामान्य विकास हो सकता है और अधिक आक्रामक प्रकार के हार्मोन-नेगेटिव कैंसर का कारण बन सकता है. यह स्टोरी स्तन कैंसर और प्रजनन के बीच के जटिल संबंध को स्पष्ट करता है. स्तन कैंसर के अपने रिस्क फैक्टर को जानने और डॉक्टर से नियमित जांच कराने के लिए यह महत्वपूर्ण है.