बुंदेलखंड की गरीबी और पिछड़ापन देख डॉक्टर बने जकी… दिल्ली की नौकरी छोड़ कर रहे गरीबों की सेवा

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झांसी. डॉक्टर बनना आसान नहीं होता है. कई वर्षों के संघर्ष और कड़ी मेहनत के बाद लोग सफेद कोट पहनने के हकदार बनते हैं. इसके बाद हर डॉक्टर की ख्वाहिश होती है कि वह बड़े शहर या बड़े अस्पतालों में काम करें. दुनिया में अपना नाम कमाएं. लेकिन, झांसी के डॉ. जकी सिद्दीकी एक ऐसे उदाहरण हैं जिन्होंने इन सब से कुछ अलग किया है. डॉ. जकी ने बड़े शहरों का मोह छोड़कर अपनी जन्मभूमि के लोगों की सेवा करने का फैसला लिया.झांसी में जन्मे डॉ. जकी बताते हैं कि उन्होंने बचपन में यह देखा था कि झांसी और बुंदेलखंड में स्वास्थ्य सेवाएं अच्छी नहीं थी. 100 किलोमीटर से भी अधिक दूरी से लोग यहां आते थे. लेकिन, मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में अच्छी सुविधाएं नहीं मिलती थी. इस वजह से लोग काफी परेशान होते थे. यह स्थिति देखकर डॉ. जकी ने तय कर लिया कि वह बड़े होकर डॉक्टर ही बनेंगे. डॉ. जकी के माता-पिता दोनों ही बायोलॉजी के टीचर थे. दोनों ने उनके फैसले का समर्थन किया.मेडिसिन से है खास लगावमेडिसिन विभाग के सीनियर डॉक्टर डॉ. जकी ने बताया कि उन्होंने मेडिसिन को चुनने का फैसला इसलिए किया क्योंकि इस फील्ड में रहने वाले डॉक्टर किसी भी मरीज के लिए सबसे पहले मददगार होते हैं. वह कहते हैं कि मरीज को यह तो पता होता है कि उसे कोई समस्या है लेकिन सटीक बीमारी क्या है इसकी जानकारी नहीं होती है. इस स्थिति में जनरल फिजिशियन या मेडिसिन विभाग के डॉक्टर ही मरीज को ठीक तरह से बता पाते हैं कि उसे किसी एक्सपर्ट डॉक्टर के पास जाना है और क्या इलाज करवाना है. उन्हें खुशी है कि वह मरीज के लिए फर्स्ट पॉइंट ऑफ कांटेक्ट होते हैं.दिल्ली छोड़कर आए झांसीडॉ. जकी ने बताया कि एमबीबीएस करने के बाद उन्हें दिल्ली के कई बड़े अस्पतालों में नौकरी करने का अवसर मिला. कुछ साल दिल्ली के नामी अस्पतालों में नौकरी करने के बाद उन्होंने यह फैसला लिया कि अब वह अपनी जन्मभूमि झांसी लौटेंगे. उन्होंने झांसी में ही आकर अपनी सेवाएं देनी शुरू कर दी थी. पिछले 10 साल से वह झांसी में मरीजों का इलाज कर रहे हैं.FIRST PUBLISHED : June 29, 2024, 19:12 IST

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