रिपोर्ट: कृष्ण गोपाल द्विवेदी
बस्ती. यूपी के बस्ती के कलवारी थाने के सामने श्री राम चाट भण्डार है, जहां के घामंजा और कचालू अपने स्वाद की वजह से चर्चित है. करीब 60 साल पहले मेवालाल मोदनवाल ने झोपड़ी की दुकान से घामंजा और कचालू बेचने की शुरुआत की थी. इसके बाद राम उजागिर मोदनवाल ने दुकान संभाली और अब उनके पुत्र बैजनाथ, रामनाथ, अमन और रोहन दुकान संभाल रहे हैं, जो कि मेवालाल मोदनवाल की तीसरी पीढ़ी हैं. यही नहीं, इस दुकान पर घामंजा खरीदते और खाते हुए लोगों की अक्सर लाइन नजर आती है.
दुकान संचालक बैजनाथ ने बताया कि घामंजे और कचालू में जो भी मसाला पड़ता है वो लोग उसे खुद ही देसी तरीके से घर पर तैयार करते हैं. यह मसाला पूरी तरह केमिकल फ्री होता है. साथ ही बताया कि डायबिटीज मरीजों के लिए भी उनके पास अलग से घामंजा मौजूद है, जिसमें प्याज की पकौड़ी और गरम छोले के साथ देसी मसालों का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा बैजनाथ ने बताया कि वो चार भाई हैं. सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक दुकान चलाते हैं और दो-दो की शिफ्ट में रहते हैं. दुकान पर कोई नौकर नहीं है बल्कि सामान बनाने से लेकर ग्राहक को सर्व करने का काम खुद ही करते हैं.
ऐसे बनता है घामंजा और कचालूबैजनाथ ने बताया कि घामंजा बनाने में हम लोग प्याज की पकौड़ी, आलू की पकौड़ी, गरम छोला और स्वादानुसार घर के बने मसाले का इस्तेमाल करते हैं. जबकि कचालू बनाने के लिए उबले आलू, धनिया, मिर्ची और नमक का यूज करते हैं. वहीं, बैजनाथ के छोटे भाई अमन ने बताया कि उनके यहां प्रतिदिन लगभग 700 ग्राहक घामंजा खाने दूर दूर से आते हैं. हाफ प्लेट घामंजा 15 रुपए, तो फुल प्लेट 20 रुपए में मिलता है.
लोग घूमने आते हैं, तो जरूर खाते है कचालूश्री राम चाट भण्डार के मालिकों में से एक अमन ने बताया कि दुकान पर आपपास के जिलों के अलावा लखनऊ, कानपुर, नोएडा, झांसी आदि जगहों से लोग जब भी आते है तो घामंजा और कचालू खाते हैं और पैक भी करवा कर ले जाते हैं. यही नहीं, न्यूज़ 18 लोकल को बस्ती जिले के टांडा से आए सनी ने बताया कि वो अक्सर घामंजा खाने आते हैं क्योंकि इसका स्वाद लाजवाब है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Basti news, Chaat, Street FoodFIRST PUBLISHED : October 31, 2022, 17:16 IST
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