Brain eating amoeba attacks again in Kerala one more died from this disease what is amoebic encephalitis | Brain-Eating Amoeba: केरल में फिर से ‘दिमाग खाने वाले’ अमीबा का हमला, एक और की जान ली; जानिए क्या है ये खतरनाक बीमारी

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Brain eating amoeba attacks again in Kerala one more died from this disease what is amoebic encephalitis | Brain-Eating Amoeba: केरल में फिर से 'दिमाग खाने वाले' अमीबा का हमला, एक और की जान ली; जानिए क्या है ये खतरनाक बीमारी



केरल के कासरगोड जिले में एक और व्यक्ति की ‘ब्रेन-ईटिंग अमीबा’ संक्रमण के संदेह के चलते मौत हो गई. रिपोर्ट के अनुसार, 38 वर्षीय माणिकंदन ने रविवार (22 सितंबर 2024) शाम को अंतिम सांस ली. माणिकंदन हाल ही में मुंबई से वापस लौटे थे और बुखार से पीड़ित थे. उन्होंने सबसे पहले कासरगोड के सरकारी जनरल अस्पताल में इलाज कराया, लेकिन बाद में उन्हें कांनूर के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में ट्रांसफर कर दिया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें अमीबिक एन्सेफलाइटिस के लक्षण होने की पुष्टि की.
आपको बता दें कि केरल में पिछले दो महीनों से ब्रेन-ईटिंग अमीबा का संक्रमण तेजी से फैल रहा है. माणिकंदन इस संक्रमण के पांचवें संदिग्ध शिकार माने जा रहे हैं. जुलाई महीने में केरल सरकार ने इस जानलेवा संक्रमण के प्रति अलर्ट जारी किया था, जब चार बच्चों में अमीबिक एन्सेफलाइटिस के मामले सामने आए थे, जिनमें से तीन की मौत हो चुकी थी.
क्या है ब्रेन-ईटिंग अमीबा या अमीबिक एन्सेफलाइटिस?’ब्रेन-ईटिंग अमीबा’ एक बेहद खतरनाक और दुर्लभ संक्रमण है, जिसे वैज्ञानिक रूप से नएगलेरिया फॉलेरी (Naegleria fowleri) के नाम से जाना जाता है. यह अमीबा सामान्यतः झीलों, ताजे पानी, नदियों, गर्म पानी के झरनों और मिट्टी में पाया जाता है. जब व्यक्ति इन जगहों पर जाता है, तो वह इस अमीबा के संपर्क में आ सकता है और इस कारण गंभीर बीमारी प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (PAM) हो सकती है, जो नर्वस सिस्टम को प्रभावित करती है और बेहद घातक साबित हो सकती है. यह अमीबा दिमाग में प्रवेश करके उसे संक्रमित करता है, इसलिए इसे ‘ब्रेन-ईटिंग अमीबा’ कहा जाता है.
किसे है इस संक्रमण का खतरा?यह संक्रमण बेहद दुर्लभ है, लेकिन इसके परिणाम ज्यादा खतरनाक होते हैं. यह अमीबा उन लोगों में फैलता है, जो झीलों, नदियों, ताजे पानी और गर्म झरनों जैसे स्थानों में समय बिताते हैं, खासकर गर्मियों में जब पानी का लेवल कम और तापमान अधिक होता है. संक्रमण का सबसे अधिक खतरा तब होता है, जब यह अमीबा नाक के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है और दिमाग तक पहुंच जाता है. दिमाग के टिशू को यह अमीबा गंभीर रूप से प्रभावित करता है, जिससे सूजन होती है और संक्रमण मृत्यु तक भी पहुंच सकता है. लगभग 97 प्रतिशत मामलों में संक्रमित व्यक्ति की मौत हो जाती है.
कैसे बचें इस संक्रमण से?हेल्द एक्सपर्ट के अनुसार, इस अमीबा के संक्रमण से बचने के लिए सावधानियां बरतना बहुत जरूरी है. खासकर उन स्थानों से दूर रहना चाहिए जहां यह अमीबा पाया जाता है, जैसे झीलें, नदियां और गर्म पानी के झरने. अगर इन जगहों पर जाना हो, तो नाक को ढंककर रखना और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए. इसके अलावा, नाक में पानी जाने से रोकने के लिए तैरते समय नोज क्लिप का उपयोग किया जा सकता है.



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