लखनऊ. उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections) में भारतीय जनता पार्टी (BJP) अयोध्या (Ayodhya) सहित सभी धार्मिक प्रतीकों को आगे रखेगी. इसके साथ ही पार्टी की रणनीति रहेगी कि कैसे जनता को बताए कि हिंदू देश में राम मंदिर बनाने में बीजेपी को कितनी लड़ाई लड़नी पड़ी और विपक्षियों ने कैसे बाधा डाली? माना जा रहा है कि अयोध्या में राम मंदिर का मुद्दा बीजेपी का सबसे बड़ा हथियार है. इसी रणनीति के तहत युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद तेजस्वी सूर्या 30 सितम्बर को अयोध्या पहुंच रहे हैं. तेजस्वी सूर्या, रामलला और हनुमानगढ़ी के दर्शन करेंगे. उसके बाद रामकथा पार्क में आयोजित ‘युवा समागम’ में शामिल होंगे.
सूर्या 30 सितम्बर को अयोध्या में युवा समागम और 1 अक्टूबर को लखनऊ में युवा मोर्चा के प्रदेश कार्यसमिति के युवा कार्यकर्ताओं से रूबरू होंगे. इस कार्यक्रम का समापन सीएम योगी आदित्यनाथ को करना है और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और संगठन महामंत्री सुनील बंसल भी सत्र को सम्बोधित करेंगे.
विधानसभा चुनाव को देखते हुए एक तरफ जाति आधारित मंत्रिमंडल विस्तार हो रहा है तो साथ ही साथ जाति आधारित पार्टियों से गठबंधन की शुरुआत हो गई है. चाहे वो अनुप्रिया पटेल हो या संजय निषाद हों, जाति प्रतिनिधि नेताओं को इतनी अहमियत देने के पीछे बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग तो है लेकिन वह सपा-बसपा-आरजेडी की तरह उसका ट्रंप कार्ड नहीं है. उसका ट्रंप कार्ड तो हिंदुत्व ही है.
क्या बाकी राजनीतिक दल पशोपेश में हैं? इस सवाल पर समाजवादी पार्टी के नेता कहते हैं कि जिसके पास कोई मुद्दा नहीं होता है, वो ही जाति और धर्म की राजनीति करता है. बीजेपी की मजबूरी है उग्र हिंदुत्व क्योंकि पिछले पांच साल मे सरकार ने कोई काम ही नहीं किया है. वे कहते हैं और कि उन्होंने हमारे कामों का फीता जरूर काटा है. इसलिए हम विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ेंगे, कहीं पशोपेश में नहीं हैं.
वैसे पक्ष हो या विपक्ष सबके लिए हिंदुत्व और अयोध्या मजबूरी बन गया है. यही कारण है कि बीजेपी जातियों के समीकरण को अच्छी तरह समझने और साधने के बाद भी, हिंदुत्व पर ही सबसे ज़्यादा भरोसा करती है.पढ़ें Hindi News ऑनलाइन और देखें Live TV News18 हिंदी की वेबसाइट पर. जानिए देश-विदेश और अपने प्रदेश, बॉलीवुड, खेल जगत, बिज़नेस से जुड़ी News in Hindi.
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