अंजली शर्मा/कन्नौज: पूरे विश्व में इत्र की खुशबू के नाम से कन्नौज अपनी पहचान बना चुका है. कन्नौज जिले में इत्र व्यापारी लगातार एक से बढ़कर एक इत्र बना रहे हैं. ऐसे में सबसे प्राचीन इत्रों में से एक चंपा का इत्र लोगों को बहुत पसंद आता है. चंपा और चमेली के नाम को लोगों ने बहुत पसंद किया. बेला चमेली की प्रजाति का ही एक फूल चंपा होता है. इसकी खुशबू आकर्षित करने वाली होती है. इसकी खुशबू से दिन भर ताजगी का एहसास होता रहता है.
कई बीमारियों में के लिए होता है फायदेमंदबता दें कि बेला, चमेली की प्रजाति का ही हिस्सा होता है. चंपा को गुलचीन भी कहते हैं. क्षीर चंपा का फूल पूरे साल खिलता रहता है और इस वृक्ष का फूल बाहर की ओर सफेद और बीच में हल्का पीले रंग का होता है. क्षीर चंपा त्वचा संबंधी बीमारियों समेत कई अन्य रोगों के घरेलू उपचार में बहुत फायदेमंद होता है.
इसका इत्र बनाते समय इसकी पंखुड़ियां को तोड़कर एक बड़े से बर्तन में इसको साफ कर लिया जाता है और फिर मानक के अनुसार डेग में भरकर ऊपर से मिट्टी से इसको सील कर तेज आंच पर पकाया जाता है. जिसके बाद इसका इत्र भाप बनकर रिसने के बाद भभके में आकर तैयार हो जाता है.
जानें मार्केट में इस इत्र की कीमतचंपा का इत्र 40 हजार रुपए किलो में तैयार हो जाता है, लेकिन अगर इसका बेस चंदन वुड ऑयल पर रहता है, तो इसका इत्र 1 लाख 60 हजार रुपए प्रति किलोग्राम तक भी पहुंच जाता है. इसकी खुशबू बिल्कुल लाइट रहती है और सोंधापन इसमें रहता है. इसकी खुशबू दिमाग पर बिल्कुल नहीं चढ़ती और हर वक्त भीनी भीनी खुशबू का एहसास दिमाग और मन को फ्रेश रखता है.
जानें क्या बोले इत्र व्यापारीइत्र व्यापारी निशिष तिवारी बताते हैं कि महत्वपूर्ण इत्रों में से एक चंपा का भी इत्र है. यह खास डिमांड पर अलग से तैयार किया जाता है. यह इत्र लोगों को बहुत पसंद आता है. इसकी खुशबू में हल्कापन रहता है और सोंधेपन का एहसास देता रहता है.
बेला चमेली की ही प्रजाति का यह फूल है. सफेद आकार में होने वाले इस फूल में थोड़ा सा पीलापन रहता है और इसकी खुशबू चमेली से थोड़ी सी हटकर रहती है, लेकिन इसकी खुशबू काफी लंबे समय तक कपड़ों पर बनी रहती है, जिससे लोगों को हर वक्त ताजगी का एहसास कराता रहता है.
Tags: Kannauj news, Local18FIRST PUBLISHED : July 16, 2024, 09:26 IST