बहराइच में यहां मिल रही हैंडमेड जूट से बनी चप्पलें, चलेंगी सालों साल

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बहराइच में यहां मिल रही हैंडमेड जूट से बनी चप्पलें, चलेंगी सालों साल

Agency:News18 Uttar PradeshLast Updated:January 30, 2025, 22:31 ISTKhadi Gram Udyog Bahraich : जूट की चप्पलें पहले भी लोग पहनते थे लेकिन तब इतनी फिनिशिंग नहीं हुआ करती थी और न तब इतनी डिजाइन थीं. अब कई डिजाइनों के साथ दर्जनों कलर के आप्शन हैं.X

जूट की बनी फैंसी चप्पलें!हाइलाइट्सबहराइच में धूम मचाए हैं देहरादून खादी जूट की चप्पलें.ये हैंडमेड चप्पलें जूट से बनी हैं और पैरों को नुकसान नहीं पहुंचातीं.चप्पलों की कीमत 200 रुपये से शुरू होकर हजारों रुपये तक है.बहराइच. यूपी के बहराइच में इन दिनों देहरादून खादी जूट की चप्पलें धूम मचा रही हैं. इन चप्पलों की खासियत है इनका हैंडमेड होना. यानी इनको हाथों से जूट की मदद से बनाया गया है. जूट के कारण ये पैरों को कोई नुकसान नहीं पहुंचातीं. अगर कीमत की बात करें तो इनके दाम 200 रुपये से शुरू होकर हजारों रुपये तक हैं. बहराइच के गेंदघर मैदान में इनकी दुकानें लगी हैं.

जूट की चप्पलों का इस्तेमाल पहले के लोग किया करते थे, लेकिन तब अब के मुकाबले इतनी फिनिशिंग नहीं हुआ करती थी और न तब इतनी डिजाइन थीं. अब आप के सामने कई डिजाइनों के साथ दर्जनों कलर के आप्शन रहते हैं. सर्दियों में पहनने पर ये चप्पलें गर्माहट का अहसास देती हैं और गर्मियों में पहनने पर ठंडी रहती हैं. यही कारण है कि आज भी बहुत से घरों में ये चप्पलें खूब इस्तेमाल होती हैं. जो इनका इस्तेमाल नहीं करते, एक बार पहन लें तो मुरीद हो जाते हैं.

इतने साल इनकी उम्र जूट की ये चप्पलें 4 से 5 साल बड़े आराम से चल जाती हैं. इसमें प्लास्टिक या खराब होने जैसा ज्यादा कुछ वर्क नही होता है. इस वजह से ये सालों तक चलती हैं. इन दिनों ‘देहरादून की फेमस जूट से बनी चप्पलें’ आपको बहराइच शहर के गेंदघर मैदान में मिल जाएंगी. यहां खादी ग्राम उद्योग की तरफ से लगी प्रदर्शनी में इसका स्टॉल भी लगाया गया है. यहां आपको ड्राई फ्रूट की दुकानें, वूलन कपड़ों की सेल, खादी ग्राम उद्योग के कपड़ों की सेल और फर्नीचर समेत अनेक दुकानें मिलेंगी, जहां जाकर आप अपनी आवश्यकता के अनुसार खरीदारी कर सकते हैं.
Location :Bahraich,Uttar PradeshFirst Published :January 30, 2025, 22:31 ISThomeuttar-pradeshबहराइच में यहां मिल रही हैंडमेड जूट से बनी चप्पलें, चलेंगी सालों साल

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