भगवान शिव को क्यों कहा जाता है त्रिपुरारी? कार्तिक पूर्णिमा से है इसका खास कनेक्शन

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भगवान शिव को क्यों कहा जाता है त्रिपुरारी? कार्तिक पूर्णिमा से है इसका खास कनेक्शन



सर्वेश श्रीवास्तव/अयोध्या: सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. कार्तिक माह की पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि को त्रिपुरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू पंचांग के मुताबिक कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि 26 नवंबर यानि कि आज शाम 3:53 से प्रारंभ होगी और 27 नवंबर दोपहर 2:45 पर समाप्त होगी. उदया तिथि के मुताबिक पूर्णिमा का व्रत 27 नवंबर को रखा जाएगा. धार्मिक मान्यता के मुताबिक इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान करने से जन्म-जन्मांतर के फल की प्राप्ति होती है.धार्मिक ग्रंथो के मुताबिक त्रिपुरासुर नामक बलशाली राक्षस ने समाज में आतंक फैला रखा था. उस दौरान कई ऋषि मुनियों की तपस्या भी भंग हो जा रही थी. जिसमें ऋषि मुनि की तपस्या में त्रिपुरा सूर्य नामक राक्षस विघ्न बाधा उत्पन्न करता था. जिससे ऋषि मुनि भयभीत हो रहे थे. तब उस दौरान ऋषि मुनियों ने घोर तपस्या करके भगवान शिव से प्रार्थना की और भगवान शिव ने ऋषि मुनियों की प्रार्थना स्वीकार करते हुए त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध कर ऋषि मुनियों को भय मुक्त किया. इसके बाद भगवान शंकर त्रिपुरारी कहलाए.शि‍व जी को त्रिपुरारी नाम द‍िया गयाअयोध्या के ज्योतिष पंडित कल्कि राम बताते हैं कि कार्तिक पूर्णिमा तिथि के दिन ही भगवान शंकर ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था. उस दौरान देवता बहुत प्रसन्न हुए थे तब भगवान विष्णु ने भगवान शंकर को त्रिपुरारी नाम दिया. कार्तिक पूर्णिमा तिथि के दिन महादेव ने प्रदोष काल में त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था. उसके बाद सभी देवताओं ने शिवलोक यानी कि काशी में आकर देव दीपावली मनाई थी. तभी से यह परंपरा काशी में भी चली जा रही है. माना जाता है कि कार्तिक माह के इस दिन काशी में दीपदान करने से पूर्वजों को मुक्ति मिलती है.नोट: यहां दी गई जानकारी के मुताबिक है न्यूज़ 18 इसकी पुष्टि नहीं करता है..FIRST PUBLISHED : November 26, 2023, 16:09 IST



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