भगवान शिव के हृदय से प्रकट हुए थे राधा वल्लभ जी, यहां लगता है भक्तों का तांता

admin

इस घर में था कुछ ऐसा कि कैलिफोर्निया की आग छू भी न सकी, पूरा पड़ोस हुआ राख

Last Updated:January 13, 2025, 16:22 ISTराधा वल्लभ जी, भगवान शिव के हृदय से प्रकट हुए थे. भगवान शिव ने ब्राह्मण आत्मदेव को उनकी कठोर तपस्या और प्रार्थना से प्रसन्न होकर उन्हें राधा वल्लभ जी की मूर्ति दी थी. मथुरा: तीर्थ नगरी वृन्दावन में राधा वल्लभ लाल की सेवा मंदिर में होती है. मंदिर में विराजमान राधा वल्लभ जी पूर्व जन्म में कौन थे. राधा वल्लभ जी, भगवान शिव के हृदय से प्रकट हुए थे. भगवान शिव ने ब्राह्मण आत्मदेव को उनकी कठोर तपस्या और प्रार्थना से प्रसन्न होकर उन्हें राधा वल्लभ जी की मूर्ति दी थी. राधा वल्लभ जी, श्री राधा और श्री कृष्ण के एकात्म स्वरूप हैं. श्री हित हरिवंश महाप्रभु ने राधा वल्लभ जी को वृंदावन लाया था.

राधा वल्लभ जी, राधा और श्री कृष्ण के एकात्म स्वरूप हैं

वृंदावन के मंदिरों में से एक मात्र श्री राधा वल्लभ मंदिर में नित्य रात्रि को अति सुंदर मधुर समाज गान की परंपरा शुरू से ही चल रही है. सवा चार सौ वर्ष पहले निर्मित मूल मंदिर को मुगल बादशाह औरंगजेब के शासनकाल में क्षतिग्रस्त कर दिया गया था. तब श्री राधा वल्लभ जी के श्रीविग्रह सुरक्षा के लिए राजस्थान से भरतपुर जिले के कामां में ले जाकर वहां के मंदिर में स्थापित किया गया और पूरे 123 वर्ष वहां रहने के बाद उन्हें फिर से यहां लाया गया. इधर वृंदावन के क्षतिग्रस्त मंदिर के स्थान पर अन्य नए मंदिर का निर्माण किया गया. निर्माण कार्य सं. 1881/सन्1824/में पूरा हुआ. मंदिर के आचार्य श्रीहितमोहित मराल गोस्वामी/युवराज/के अनुसार मुगल बादशाह अकबर ने वृंदावन के सात प्राचीन मंदिरों को उनके महत्व के अनुरूप 180 बीघा जमीन आवंटित की थी, जिसमें से 120 बीघा अकेले राधा वल्लभ मंदिर को मिली थी. यह मंदिर श्री राधा वल्लभ संप्रदायी वैष्णवों का मुख्य श्रद्धा केन्द्र है. यहां की भोग राग, सेवा-पूजा श्री हरिवंश गोस्वामी जी के वंशज करते हैं.

राधा वल्लभ जी, भगवान शिव के हृदय से प्रकट हुए थे

राधा वल्लभ जी, भगवान शिव के हृदय से प्रकट हुए थे. भगवान शिव ने ब्राह्मण आत्मदेव को उनकी कठोर तपस्या और प्रार्थना से प्रसन्न होकर उन्हें राधा वल्लभ जी की मूर्ति दी थी. राधा वल्लभ जी, श्री राधा और श्री कृष्ण के एकात्म स्वरूप हैं. श्री हित हरिवंश महाप्रभु ने राधा वल्लभ जी को वृंदावन लाया था. श्री हित हरिवंश महाप्रभु ने वृंदावन आने के बाद राधा वल्लभ जी का पाट महोत्सव किया था. राधा वल्लभ संप्रदाय की शुरुआत साल 1535 में वृंदावन में हुई थी. राधा वल्लभ संप्रदाय के लोग श्री राधा की भक्ति पर ज़्यादा ज़ोर देते हैं.

मंदिर में श्री हित हरिवंश जी के चित्रपट की सेवा 

मंदिर के बाहर लगाए गए प्रस्तर पट्ट में इसके बारे में निम्नलिखित जानकारी लिखी है. श्री हित हरिवंश गोस्वामी जी के सेव्य श्री राधा वल्लभ लाल के गोस्वामियों द्वारा इस मंदिर का निर्माण सन् 1584 में देवबंद निवासी श्री सुंदर दास खजांची द्वारा करवाया गया था. इनको आज्ञा श्री हित व्रजचन्द महाप्रभु ने दिया. यह वृंदावन का प्राचीन एवं अति प्रसिद्ध मंदिर है. श्री राधा वल्लभ जी अन्यत्र जाने तक इसमें विराजमान रहे. पुन: वृंदावन लौटने पर वे नए मंदिर में सन 1842 से प्रतिष्ठित हुए.
Location :Mathura,Mathura,Uttar PradeshFirst Published :January 13, 2025, 16:22 ISThomeuttar-pradeshभगवान शिव के हृदय से प्रकट हुए थे राधा वल्लभ जी, यहां लगता है भक्तों का तांता

Source link