भेड़िए ही नहीं सियार भी बने तराई जिलों में बड़ी चुनौती, बढ़ रहे छोटे जानवरों के हमले, जानें कारण

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पीलीभीत. आम तौर पर मानव वन्यजीव-संघर्ष का जिक्र होते ही बाघ और तेंदुए जैसे बड़े वन्यजीवों की तस्वीर मन में आती है. लेकिन बीते कुछ दिनों से बहराइच में भेड़ियों के बढ़ते हमले के मामलों ने इस अवधारणा को गलत साबित किया है. महज भेड़िया ही नहीं बल्कि उससे छोटा वन्यजीव भी तराई के पीलीभीत, लखीमपुर व बहराइच जिलों के लिए आफत का सबब बनता जा रहा है.

दरअसल, बीते कुछ सालों में पीलीभीत समेत आस पास के तमाम जंगलों में बाघों की संख्या में तेज़ी से बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में बाघ की बढ़ती मौजूदगी के चलते तेंदुए उन इलाकों में पहुंच गए हैं जो कभी भेड़िया, सियार, जंगली कुत्तों आदि का प्राकृतिक वास स्थल हुआ करते थे. जंगल के सिकुड़ते दायरे व बड़े मांसभक्षी जानवरों के बढ़ते कुनबों के चलते ये छोटे वन्यजीव अब आबादी वाले इलाकों में ही अपना डेरा जमा रहे हैं.

पीलीभीत में सियार बन रहे चिंता का सबबपीलीभीत में लगातार बढ़ते मानव वन्यजीव संघर्ष पर अधिक जानकारी देते हुए पीलीभीत के वरिष्ठ वन जीव पत्रकार अमिताभ अग्निहोत्री ने बताया कि बीते कुछ सालों में मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में तेज़ी से इजाफा हुआ है. एक तरफ जहां जंगल से सटे इलाकों में बाघों की चहलकदमी देखी जा रही है तो वहीं दूसरी ओर रिहाइशी इलाकों में सियार के हमलों की घटनाएं भी होती आ रही है.

स्थिति हो सकती है भयावहअमिताभ अग्निहोत्री ने बताया कि बीते साल ही जहानाबाद इलाके में एक ही गांव के दर्जनों लोग सियार के हमले में घायल हुए थे. वहीं जिले भर के अलग-अलग इलाकों में ऐसी घटनाएं सामने आती रही है. वन्यजीव विशेषज्ञों को वन्यजीवों के इस बदलते व्यवहार पर विश्लेषण के लिए इन घटनाओं की विस्तृत जांच करनी चाहिए. अगर जल्द ही इन कारणों का पता लगाकर इन पर काम नहीं किया गया तो आने वाले समय में स्थिति और भी भयावह हो सकती है.
Tags: Local18, Pilibhit news, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : September 5, 2024, 19:48 IST

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