भावुक कर देगी डासना जेल में 11 साल से बंद कैदी शकील की यह कविता, जेल अधिकारियों को ऐसे अदा किया शुक्रिया

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भावुक कर देगी डासना जेल में 11 साल से बंद कैदी शकील की यह कविता, जेल अधिकारियों को ऐसे अदा किया शुक्रिया



विशाल झा/गाज़ियाबाद: सोशल मीडिया पर जब आप जेल के बारे में पढ़ते या सुनते होंगे तो हमेशा बड़ी-बड़ी दीवार, काले अंधरे से भरे हुए छोटे-छोटे कमरें और जीवन को दुर्गम बना देने वाले अनुभवों को सुनकर आपकी भी रूह कांप जाती होगी. लेकिन जरुरी नहीं की जो हमने धारणा बना ली हो हमेशा वैसा ही हो, जी हां, ये बात डासना जेल के भी साथ बिलकुल अलग है. गाज़ियाबाद की जिला कारागार डासना में एक बंदी शकील ने जेल जीवन पर कविता लिखी है. जिसको जब जेलर और जेल अधीक्षक के सामने कैदी ने सुनाया तो दोनों भावुक हो गए.

दरअसल, शकील 11 साल से जेल में बंद है , उस समय शकील अनपढ़ भी थे. इसके बाद जेल में ही पढ़ना-लिखना सीखा और कविता लिखने में हाथ आजमाना शुरू कर दिया. जिसमें जेल प्रशासन की तरफ से भी मदद की गई. ऐसी ही एक कविता शकील ने अपने जेल के जीवन और यहां से मिलने वाली सीख पर लिखी है. जो कुछ इस प्रकार है.

कौन कहता है इसे वीरान ए मुफल्फिशकौन कहता है इसे गुनाहो का घरहमें खुद से भी ज्यादा प्यार करते है, इतने प्यारे है हमारे सुपरिटेंडेंट सर

मत समझो इसे वतन ए कैदमत समझो इसे जंजीर ए जेलइसमें तो मुसाफिर आते है, यें है प्यारे वतन की रेलखुश रहता है दिल हर पल हमारा यहां, कोई गम भी रास नाइस मिट्टी में है सुकून बहुत, क्यों समझे इसे कारागार डासनाना कोई गरीब है यहां, ना कोई बन सकता है नवाबसबको एक निगाह से देखते हैं हमारे प्यारे जेलर साहबजब दर्द जमाने का लेकर कोई हो जाता है बागी, बहुत प्यार से ईलाज करते है हमारे डॉ साहब त्यागीअपने दाल रोटी सब्ज़ी सब बनाते है यहां परयारो मोहब्बत भी वही होती है मेहनत होती है जहां पर,बेगुनाह कैद में आए थे हम, कपड़ा भी नहीं था तन परप्यारे जेल अधिकारियों ने ख्याल रखा मां -बाप बनकरजिंदगीजिंदगी की कीमत जेलर साहब ने बताईमुस्कुराहट मिलने की सारी तरकीब सिखाई,ईमानदारी से रोटी खानी है बाहरकुछ नया करना है कल, हालातों से अपने कुछ सीख जाओ कहते है जेलर शुक्लदिल हमने कभी नहीं दुखाया है, ना ही कभी दुखाएंगेमां भारती की मिट्टी में जन्मे है, अच्छे है अच्छे कहलाएंगे

IGNOU से हुई शकील की पढ़ाईजेल अधीक्षक अलोक सिंह ने बताया कि कारागार में शकील नाम का बंदा था, जो पढ़ना-लिखना नहीं जानता था. मगर जेल में रहते हुए उसने पढ़ाई-लिखाई में रुचि दिखाई. जेल प्रशासन ने मदद की, तो शकील पढ़ना-लिखना सीख गया. उसने IGNOU से अपनी पढ़ाई की. शायरी में भी शकील का काफी इंट्रेस्ट था. जब भी कोई कार्यक्रम जेल में होता था तब हमेशा इस बंदी की कविताओं पर तालियों की गड़गड़ाहट देखने को मिलती थी.
.Tags: Ghaziabad News, Local18, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : January 7, 2024, 12:40 IST



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