भारत की सभी नदियों की स्त्री रूप में है मान्यता, सिर्फ ये दो नदियां हैं पुरूष अवतार

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भारत की सभी नदियों की स्त्री रूप में है मान्यता, सिर्फ ये दो नदियां हैं पुरूष अवतार

रिपोर्ट- अरविंद दुबे

सोनभद्र: भारत में सभी नदियों को स्त्री का दर्जा दिया जाता है. गंगा, यमुना, सरस्वती, गोदावरी और नर्मदा सहित सभी नदियों को लोग मां मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं. दो नदी ऐसी भी हैं जिन्हें पुरूष का दर्जा दिया गया है. इनमें एक ब्रम्हपुत्र और दूसरी सोन नदी है. इनका वर्णन वेदों में भी है. इन नदियों को स्त्रीलिंग न मानकर इन्हें पुल्लिंग का दर्जा दिया गया है.

सोन नदी को सोनभद्र शिला के नाम से भी जाना जाता है. यमुना के बाद यह गंगा नदी की दक्षिणी उपनदियों में सबसे बड़ी नदी है. यह मध्य प्रदेश के अनूपपुर ज़िले में अमरकंटक के पास निकलती है जो विंध्याचल पहाड़ियों में नर्मदा नदी के स्रोतस्थल से पूर्व में स्थित है. यह उत्तर प्रदेश और झारखंड राज्यों से गुज़रकर बिहार के पटना ज़िले में गंगा नदी में मिल जाती है. यह मध्य प्रदेश की एक प्रमुख नदी है.

आमतौर पर इस नदी में पानी कम ही रहता है और यह शांत रहती है, लेकिन बरसात में इसका रूप विकराल हो जाता है. लोकल 18 से खास बात चीत में गुप्त काशी सेवा ट्रस्ट के संस्थापक रवि प्रकाश चौबे ने बताया की सोन नदी का विंध्य पर्वत की सबसे ऊंची श्रृंखला से उद्गम हुआ है. अमर कंटक से निकल कर सोन बहती है. सोन नदी का जिक्र अग्नेय पुराण के अलावा गोस्वामी तुलसी दास ने राम चरित मानस में भी किया है. सोन को भी ब्रम्हा जी के पुत्र के रूप में जाना जाता है. सोन का विवाह नर्मदा से होना था.

इसका नाम सोन नदी इसलिए पड़ा क्योंकि इसका बालू (रेत) पीले रंग के है जो सोने कि तरह चमकता है. इस नदी का रेत भवन निर्माण आदि के लिए उपयोगी है. यह रेत पूरे बिहार, शहडोल और रीवा में भवन निर्माण के लिए उपयोग में लाया जाता है. इसके नाम की एक कहानी यह भी है कि इसका पुराना नाम सोहन था जो बिगड़कर सोन बन गया. सोन नदी का उल्लेख रामायण आदि पुराणों में आता है.

यह नदी मध्यप्रदेश के अमरकंटक नामक पहाड़ से निकलकर 350 मील का चक्कर काटती हुई पटना से पश्चिम गंगा में मिलती है. इस नदी का पानी मीठा, निर्मल और स्वास्थ्यवर्धक होता है. अनेक फारसी, उर्दू और हिंदी कवियों ने इस नदी और नदी के जल का वर्णन किया है. इस नदी में डिहरी-आन-सोन पर बांध बांधकर 296 मील लंबी नहर निकाली गई है जिसके जल से शाहाबाद, गया और पटना जिलों के लगभग सात लाख एकड़ भूमि की सिंचाई होती है.
Tags: Local18FIRST PUBLISHED : September 22, 2024, 21:27 IST

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