भारत-चीन युद्ध मे शहीद हुए थे रनवीर सिंह… शव भी नहीं पहुंचा था घर, परिवर की ये मांग अब भी अधूरी

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भारत-चीन युद्ध मे शहीद हुए थे रनवीर सिंह... शव भी नहीं पहुंचा था घर, परिवर की ये मांग अब भी अधूरी



शिवहरि दीक्षित/हरदोई. यूपी के हरदोई के शहीद रनवीर सिंह वर्ष 1962 में हुए भारत चीन युद्ध मे शहीद हो गए थे. उन्होंने देश की रक्षा के लिए प्राणों की कुर्बानी दे दी. शहीद के परिवार को केवल वर्दी और कुछ कपड़े ही सेना ने सौंपे थे. परिवार को पार्थिव शरीर तक नहीं मिला था.

हरदोई के गांव जोगीपुर में शहीद रनवीर सिंह का बचपन बीता है. वह शुरू से ही सेना में जाने का सपना देखते थे. उनका परिवार कभी नहीं चाहता था कि वह सेना में जाएं, मगर देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा रखने वाले रनवीर सिंह घरवालों को बिना बताए ही सेना में भर्ती होने के लिए आवेदन कर दिया और उनकी जॉइनिंग हो गई.

पार्थिव शरीर भी नसीब नहींजॉइनिंग होने के बाद वह ट्रेनिंग पर चले गए ट्रेनिंग के बीच में जब वह छुट्टी पर घर आए तब उनका पूरा परिवार उनसे नाराज हो गया. मगर धीरे-धीरे सब खुश होने लगे. इसी बीच उनकी शादी हो गई और शादी के दो साल बाद वह 1962 में भारत चीन युद्ध में भेज दिए गए, जहां पर 11 सितंबर 1962 में शहीद हो गए. जैसे ही परिवार को इसकी सूचना मिली तो कोहराम मच गया.

अंतिम सांस तक पति का किया इंतजार जब रनवीर सिंह के घर पर सेना के जवान उनके कपड़े और वर्दी लेकर पहुंचे तो परिवार ने सेना के अधिकारियों से उनके पार्थिव शरीर के बारे में पूछा तो पता चला कि उनका पार्थिव शरीर उन्हें नहीं मिला, जिसके बाद से उनकी पत्नी ने इस बात को मानने से इनकार कर दिया कि उनके पति रनवीर सिंह शहीद हो गए हैं और वह अंतिम समय तक यह मानती रहीं की कभी न कभी तो रनवीर वापस आएंगे.

लोग श्रद्धांजलि देकर चले जाते हैंपवन सिंह का कहना है उनके पिता द्वारा बताया गया था कि शहीद रनवीर सिंह जो रिश्ते में उनके फूफा थे, उनका पार्थिव शरीर परिवार को देखने को नहीं मिला था. पवन बताते हैं कि जैसे ही कोई राष्ट्रीय पर्व आता है तो तमाम नेता और अधिकारी उनके घर आते हैं और शहीद की फ़ोटो को श्रद्धांजलि देकर चले जाते हैं.

आज तक नहीं पूरी हुई यह मांग नेताओं और अधिकारियों से पवन सिंह ने एक मांग रखी थी कि शहीद रनवीर सिंह के नाम पर एक पार्क बनवा दिया जाए, जिसके लिए वह खुद अपनी जमीन देने को तैयार हैं. वहीं गांव के बाहर एक शहीद स्मृति गेट बनवा दिया जाए, ताकि गांव के अन्य युवा भी सेना में जाने के लिए प्रेरित हों. मगर, अधिकारी व नेता केवल आश्वासन देकर चले जाते हैं और आजतक उनकी यह मांगें पूरी न हो सकीं.
.Tags: Hardoi News, Heroes of the Indian Army, Independence day, Local18FIRST PUBLISHED : August 13, 2023, 23:45 IST



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