Benefits of Long Pepper pippali ke fayde Ayurvedic Herbs Medicine | 100 मर्ज की एक ‘दवा’ छोटी सी पिप्पली, बड़ी-बड़ी परेशानियां भी टेक देती हैं घुटने

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Benefits of Long Pepper pippali ke fayde Ayurvedic Herbs Medicine | 100 मर्ज की एक 'दवा' छोटी सी पिप्पली, बड़ी-बड़ी परेशानियां भी टेक देती हैं घुटने



Benefits of Long Pepper: वो दौर कोविड-19 का था, जब कोरोनावायरस की मार पूरी दुनिया सह रही थी. तरह-तरह के इलाज और उपायों में लोग लगे थी. ऐसे वक्त में ही आयुष मंत्रालय ने स्वास्थ्य मंत्रालय साथ मिलकर एक स्टडी की. क्लीनिकल रिसर्च स्टडी जिसमें आयुर्वेदिक औषधियों के जरिए इलाज को तवज्जो दी गई. इनमें 4 औषधियों को रिसर्च के काबिल माना गया और इन्हीं में से एक थी पिप्पली.
कोई आम मसाला नहीं है पिप्पलीइस स्टडी में पिप्पली के साथ यष्टिमधु, अश्वगंधा, गुडुची और एक पॉली हर्बल को भी शामिल किया गया था. ये सभी हर्ब सेहत के नजरिए से काफी फायदेमंद हैं. पिप्पली एक आम सा मसाला नहीं है बल्कि शरीर के हरेक अंग का ख्याल रखने वाला आयुर्वेदिक खजाना है. ऐसा खजाना जिसमें गुण कूट-कूट कर भरे हुए हैं. अंग्रेजी में जो ‘पेपर’ कहते हैं न, वो भी हमारी पिप्पली से लिया गया शब्द है ऐसा एक्सपर्ट बताते हैं! इसे इंडियन ‘लॉन्ग पेपर’ भी कहा जाता है.
यहां भी हुआ है पिप्पली का जिक्र सुश्रुत संहिता और चरक संहिता में इसका जिक्र है. सुश्रुत संहिता में इसे दहन उपकर्ण के तौर पर जाना जाता है जो त्वचा संबंधी तकलीफों को कम करने में मदद करता है. वहीं चरक संहिता विमानस्थान में इसके उपयोग को लेकर निर्देश दिए गए हैं. बताया गया है कि इसे कुछ स्थितियों में नहीं खाना चाहिए. इसे इमरजेंसी कंडीशन से निपटने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली औषधि के रूप में वर्णित किया गया है लेकिन लंबे समय तक न लिए जाने का परामर्श भी दिया गया है.
अमेरिका तक ने माना इसका लोहायूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिलवेनिया (University of Pennsylvania) के पेरेलमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन (Perelman School of Medicine) ने भी कुछ साल पहले एक रिसर्च किया. इसमें बताया गया है कि भारत में पाई जाने वाली पिप्पली में पाइपरलोंगुमाइन नाम का एक केमिकल कंपाउंड है जो कैंसर की कोशिकाओं को मारने में मदद करता है. यह अलग-अलग तरह के ट्यूमर की कोशिकाओं को भी खत्म करता है, जिसमें से एक ब्रेन ट्यूमर भी है. अध्ययन में बताया गया कि पिप्पली ब्रेन कैंसर के सबसे खतरनाक रूप ग्लाओब्लासटोमा पर भी असरदार है.
ग्रीस में भी पॉपुलरआयुर्वेद में ही नहीं, यूनानी और सिद्ध चिकित्सा पद्धति में भी पिप्पली का बखान किया गया है. इस वनस्पति के फल और जड़ों का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. जड़ों और तने के मोटे हिस्से को काटकर सुखाया जाता है और इसलिए आयुर्वेद इसे पीपलामूल नाम से पुकारता है.
पिप्पली के अन्य फायदेये पिप्पली मेटाबॉलिज्म बढ़ाने में मदद करती है और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण सूजन कम करने में भी सहायक होती है. इसे इम्यूनिटी बूस्टर भी कहा जाता है. पाचन तंत्र से लेकर श्वसन तंत्र तक को नियंत्रण में रखती है. तासीर गर्म होती है, इसलिए गर्भवती महिलाओं को इससे बचने की सलाह दी जाती है.
आयुर्वेद के मुताबिक, पिप्पली अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और सांस की समस्या से जूझ रहे लोगों पर जबरदस्त असर करता है. ये कफ और बलगम निकालने में मदद करता है. चूंकि इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण है, इसलिए दर्द निवारक के तौर पर काम करता है, जोड़ों के दर्द और सूजन कम करने में मददगार साबित होता है.
सुश्रुत संहिता में इसे दहन उपकर्ण के तौर पर जाना जाता है यानि ऐसी औषधि जो त्वचा संबंधी तकलीफों को कम करने में मदद करता है. दरअसल, ये खून साफ कर कील मुहांसों, खुजली जैसी दिक्कतों को दूर करती है.
कैसे करें पिप्पली का सेवन?पिप्पली से मेटाबॉलिज्म तेज गति से होता है, नतीजतन वजन भी घटता है. गुर्दे की सेहत का ख्याल रखता है और मूत्र विकार को भी दूर करता है. इसके चूर्ण का इस्तेमाल भी आयुर्वेदाचार्य की सलाह पर किया जाना चाहिए. वैसे आमतौर पर दादी-नानी के नुस्खों में भी इसका जिक्र बड़े अदब से होता है. कहा जाता है कि 1/4 से 1/2 चम्मच शहद या गर्म पानी के साथ लें तो फायदा होता है और अगर खांसी-जुकाम है और चूर्ण फांकने में दिक्कत है, तो पिपरामूल को उबालकर पीने से भी फायदा होता है. अगर ये भी मुमकिन न हो, तो डॉक्टर की सलाह पर कैप्सूल और टैबलेट रूप में प्रयोग कर सकते हैं. 
(इनपुट-आईएएनएस)
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.



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