Becoming self reliant from this institute of chitrakoot story of self reliant woman – चित्रकूट के इस संस्थान से महिलाएं बन रही आत्मनिर्भर, पढ़ें

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Becoming self reliant from this institute of chitrakoot story of self reliant woman - चित्रकूट के इस संस्थान से महिलाएं बन रही आत्मनिर्भर, पढ़ें



रिपोर्ट – धीरेन्द्र शुक्लाचित्रकूट : राष्ट्र ऋषि नानाजी देशमुख का सपना था की महिलाओं को जागरूक कर उनको उनके पैरों पर खड़ा कर मजबूत बनाने का बीड़ा उठाया. महिलाएं स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बने इसके लिए चित्रकूट का सबसे पिछड़ा इलाका चुना और आज एक विंग के माध्यम से महिलाओं को प्रशिक्षण देने का कार्य जारी है. यही वजह है कि यहां से महिलाएं ज्यादातर प्रशिक्षण पाकर रोजगार की तरफ बढ़ रही है. दीनदयाल शोध संस्थान केंद्र में बने प्रशिक्षण केंद्र में महिलाओं का सिलाई कढ़ाई ब्यूटीशियन हाथ की कारीगरी से बने हैंडलूम आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है. यहां से निकली महिलाएं आत्मनिर्भर बनती है और अपने परिवार का भरण पोषण करती है.

आत्मनिर्भर की शुरुआत कब से शुरु हुई.चित्रकूट परियोजना या आत्मनिर्भरता के लिये अभियान की शुरुआत 26 जनवरी 2005 को चित्रकूट में हुई जो उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश की सीमा पर स्थित है. इस परियोजना का उद्देश्य 2005 के अन्त तक इन गाँवों में आत्मनिर्भरता हासिल करना था , किन्तु यह परियोजना 2010 में पूरी हो सकी , परियोजना से यह उम्मीद तो जगी है कि चित्रकूट के आसपास कम से कम पाँच सौ गाँवों को तो आत्मनिर्भर बना ही लिया जायेगा, निस्सन्देह यह परियोजना भारत और दुनिया के लिये एक आदर्श बन सकती है.

प्रशिक्षण के बाद आत्मनिर्भर बनी महिलाचित्रकूट के कर्वी तहसील की रहने वाली मीना गुप्ता है जो चिल्का ब्यूटीशियन का काम कर रही है. इसी ब्यूटी पार्लर से वह अपने परिवार का भरण पोषण करती है. परिवार में उनके साथ 6 सदस्य और भी हैं जिनको अच्छी शिक्षा के साथ स्वालंबी बनाने की प्रक्रिया में हरी उतर रही है और एक और अन्य महिलाओं को प्रेरणा दे रही हैं.

संस्थान गांव गांव तक लोगो को आत्मनिर्भर बनाने में जुटा हैफिलहाल चित्रकूट में लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नानाजी देशमुख की उस सोच को याद करके आगे बढ़ाया गया है. जो परियोजना 2010 में पूरी हो चुकी थी उसी परियोजना को आज भी संचालित करके गांव-गांव में लोगों को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जा रहा है. निःसंदेह यह परियोजना भारत और दुनिया के लिए एक आदर्श बन सकती है. क्योंकि इस परियोजना में लोग आत्मनिर्भर बनने के साथ-साथ अपने परिवार की भरण-पोषण का एक रास्ता जरूर मिल जाता है. इसी कड़ी में यहां पर जो भी महिलाएं प्रशिक्षण लेती हैं उनको अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए दिक्कत का सामना नहीं उठाना पड़ता है. और चित्रकूट का पिछड़ा इलाका आज आत्मनिर्भर बनने के मार्ग पर आ चुका है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Chitrakoot News, Uttar pradesh newsFIRST PUBLISHED : February 10, 2023, 19:09 IST



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